1,758 बाल वाटिका और 5,000 से अधिक व्यक्तिगत बाड़ी का होगा निर्माण : डीपीओ टिकवेंद्र जाटवर

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*राष्ट्रीय पोषण माह बदल रहा लोगों के खाने का तरीका*
*1,758 बाल वाटिका और 5,000 से अधिक व्यक्तिगत बाड़ी का होगा निर्माण : डीपीओ टिकवेंद्र जाटवर*
*पोषण से स्वास्थ्य जागरूकता तक लोगों में आ रहे बदलाव*
रायगढ़, 28 सितंबर 2022, प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 1 सितम्बर से 30 सितम्बर के बीच “राष्ट्रीय पोषण माह” मनाया जा रहा है। जनसामान्य को पोषण के महत्व को बताना एवं सुपोषित आहार से स्वास्थ्य व्यवहार को विकसित करने के उद्देश्य से मनाए जाने वाले इस माह में जिले में विभिन्न गतिविधियां हुई। अब आखिरी के दो दिनों में सभी आंगनबाड़ियों में स्वस्थ बालक-बालिका प्रतिस्पर्धा हो रही है तो घर-घर जाकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों से पोषण माह के बारे में फीडबैक ले रही है। पोषण माह का जिला स्तर पर फीडबैक लेने के लिए राज्य महिला बाल विकास विभाग से आए हैं।
*पोषण माह के दौरान तिरंगा थाली (यानी हरा-पीला-सफेद रंग के पोषणकारी साग-सब्जियों-भोजन), मिट्टी का खिलौना बनाओ प्रतियोगिता, पोषण फैशन वॉक, रेडी टू ईटी व्यंजन प्रतियोगिता, पोषण से संबंधित रंगोली प्रतियोगिता, स्वस्थ बच्चा प्रतियोगिता में लोग खासा रूचि लेते हैं। बच्चों के साथ उनके पालक भी आते हैं और इन सभी प्रतियोगिताओं और क्रिया-कलापों का पोषण के प्रति जागरूकता लाने का उद्देश्य इससे पूरा भी हो जाता है।
*इस बार कोविड संक्रमण का खतरा अपेक्षाकृत कम था फिर भी कोविड के नियमों का पालन करते हुए पोषण माह विभिन्न विभागों की सामूहिक सहभागिता से मनाया जा रहा है। पोषण को लेकर अब तक हुई गतिविधियों के बारे में और आगे की कार्ययोजना के संदर्भ में मंगलवार को जिला कार्यक्रम अधिकारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी हुई। जिसके बारे में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी टिकवेंद्र जाटवर ने बताया “सुपोषित आहार स्वस्थ्य जीवन की कुंजी है। इसी आहार के बारे में जागरूकता लाने के लिए पोषण माह मनाया जा रहा है। इस बार बाल सुधार गृह में रहने वाले बच्चों को भी पोषण माह में शामिल किया गया। साथ ही इस बार जिले के 3,409 आंगनबाड़ियों में से 1,758 आंगनबाड़ियों में पोषण वाटिका लगाई जाएगी। इसे 15 अक्टूबर से 30 नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। “

*पोषण माह का लोगों को रहता है इंतजार: निर्मला देवांगन*
हमीरपुर सेक्टर की आंगनबाड़ी सुपरवाइजर निर्मला देवांगन जिन्हें बीते साल पोषण वाटिका के लिए राज्य स्तर पर सम्मान मिला था वह बताती हैं: ”ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोग साग-भाजी का सेवन करते हैं पर उन्हें कैसे और कब खाना, किसमें पोषण अधिक और किसमें नहीं जैसी चीजें आंगनबाड़ी में बताई जाती है। आंगनबाड़ी के माध्यम से कुपोषण को दूर करने के लिए लगातार प्रयास जारी है। पहले पोषण सप्ताह मनाया जाता है अब माह का आयोजन होता है। हालांकि हम सालभर पोषण के लिए कार्य करते हैं पर इस विशेष माह में हर दिन अलग-अलग गतिविधियों के कारण लोग आते हैं और हमारे कार्यकर्ता भी उत्साह में रहते हैं। सालभर इस माह का लोगों को इंतजार रहता है। पोषण माह के माध्यम से लोगों में पोषण की जागरूकता तो आई है लोग स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत हो रहे हैं। एनीमिया जांच के लिए किशोरी बालिकाओं में खासा उत्साह रहता है। छोटे बच्चों को योग के आसन सीखते देख उनके पालक खुश हो जाते हैं यह सब इसी माह में होता है।“

*बनेंगे 5,000 से अधिक व्यक्तिगत बाड़ी*
महिला एवं बाल विकास के कार्यक्रम अधिकारी टिकवेंद्र जाटवर ने बताया: ” महिला एवं स्वास्थ्य, बच्चा एवं शिक्षा- पोषण भी पढ़ाई भी, जेंडर संवेदी जल संरक्षण एवं प्रबंधन तथा आदिवासी क्षेत्र के महिलाओं एवं बच्चों हेतु परंपरागत आहार की थीम पर पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है। पोषण के लिए सिर्फ एक ही माह क्यों इसे आगे भी बनाए रखने लिए हमने उद्यानिकी विभाग को व्यक्तिगत बाड़ी बनाने के लिए कहा है जिसके लिए घरों का चयन किया जा चुका है। बीते वर्ष जिले में 5,553 व्यक्तिगत बाड़ी बनाए गए थे इस बार भी इतने ही बाड़ी बनाए जाएंगे जिससे पूरे घर को पोषण की महत्ता पता चलेगी। आगामी दिनों में इनकी संख्या बढ़ेगी और वह दिन दूर नहीं जब फिर से लोगों में बाड़ी के पोषक साग-सब्जियों को उपयोग में लाने की परंपरा आ जाएगी।“

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