इन छुट्टियों यात्रा करें छत्तीसगढ़ के प्राचीन पांच मुख्य मंदिर की!

भारत में 29 राज्य हैं, हर राज्य की अपनी अलग खासियत है, भारत के कुछ राज्य पर्यटन के मामले में एकदम नम्बर वन है, तो वहीं कुछ ऐसे भी राज्य है, जिन्हें अक्सर पर्यटकों द्वारा इग्नोर किया जाता है, इन्ही में से एक राज्य है छत्तीसगढ़, जोकि कई खूबसूरत प्राकृतिक और ऐतिहासिक चमत्कारों का घर है। छत्तीसगढ़ ऑफबीट देशी और विदेशी पर्यटकों के बीच खासा प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां अन्य पर्यटन स्थलों की तरह पर्यटकों की ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं होती है, इसलिए पर्यटक यहां प्रकृति की गोद में अच्छे से शांति के बीच खुद के साथ समय बिताते हैं।

छत्तीसगढ़ में पर्यटक ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से लेकर झीलें, नदियां, किले और मंदिर आदि सब पा सकते हैं। प्रकृति और ऐतिहासिक इमारतों से भरपूर यह राज्य आज भी पर्यटकों की बाट जोह रहा है। तो क्यों ना इन छुट्टियों में छत्तीसगढ़ के पांच खूबसूरत मंदिरों का अन्वेषण किया जाये, छत्तीसगढ़ के खास मन्दिरों के बारे में जानने के लिए स्लाइड्स पर डाले एक नजर

बर्फानी धाम : राजनंदगांव जिले में स्थित, बर्फानी धाम भगवान शिव और नंदी की विशाल मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। नव निर्मित मंदिर होने के बावजूद, हर साल सैकड़ों हिंदू भक्तों मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने पहुंचते है। यह मंदिर शैवियों के बीच एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल भी माना जाता है।

इस मंदिर की खास विशेषता, इस मंदिर की भव्य वास्तुकला है, जोकि तीन परतों में निर्मित है, जिसमे नीचे की परत पर पाताल भैरवी का मंदिर है, मध्य स्तर पर नवदुर्गा की मूर्ति स्थापित है और सबसे ऊपरी परत पर, भगवान शिव की विशाल मूर्ति स्थापित है। तो क्यों ना इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के साथ साथ इस मंदिर की अभिभूत करने वाली वास्तुकला को निहारा जाये।

भोरमदेव  : छत्तीसगढ़ में महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में शुमारभोरमदेव भारत के सबसे पुराने मंदिर परिसरों में से एक है। इस मंदिर की वास्तुकला नागारा शैली में है, जिसका निर्माण 11 वीं शताब्दी के दौरान हुआ था। कबीरधाम जिले में माइकल रेंज की तलहटी में स्थित,भगवान शिव को समर्पित, भोरमदेव मंदिर तीन मंदिरों का एक समूह है। इस मंदिर को बारीक नक्काशी और मूर्तियों के साथ सजाया गया है। इस मंदिर की वास्तुकला, विशेष रूप से शिखर ओडिशा वास्तुशैली दर्शाते है। साथ ही नक्काशी और मूर्तिकला खजुराहो मंदिरों के समान है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर गंगा और यमुना का चित्र है। यदि आप इतिहास और वास्तुकला के उत्साही प्रेमी हैं, तो आपको इस मंदिर की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। खास बात यह कि, हरे-भरे जंगलों से परिपूर्ण यह मंदिर गर्मियों में घूमने के लिए एकदम उत्तम है।

बम्बलेश्वरी मंदिर : छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोगरगढ़ में सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित बम्बलेश्वरी मंदिर, मां बम्लेश्वरी देवी को समर्पित है। इस मंदिर को बड़ी बम्बलेश्वरी मंदिर कहा जाता है, पर्यटक पहाड़ी के आधार पर इस मंदिर के एक छोटे से संस्करण को देख सकते हैं, जिसे छोटा बम्बलेश्वरी मंदिर कहा जाता है।इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को करीबन 1000 सीढियाँ चढ़नी होती है, इस मंदिर का निर्माण करीबन 2000 साल पहले राजा वीरसन नाम के एक स्थानीय राजा द्वारा स्थापित किया गया था। वर्तमान में इस मंदिर में, नवरात्री के दौरान श्रद्धालुयों की असंख्य भीड़ माता रानी से अपनी मनोकामना पूरी करने की मन्नत मांगने पहुंचते हैं।

दंतेश्वरी मंदिर छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में दंतेवाड़ा में स्थित, दंतेश्वरी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण, करीबन 14वीं शताब्दी में हुआ था। देवी शक्ति के रूप में मां दांतेश्वरी को समर्पित यह मंदिर भारत के 52 शक्ति पीठों में से एक है। पौराणिक कथायों के मुताबिक, यह वही स्थान है जहाँ देवी सती का दांत गिरा था। क्योंकि यह वही समय था जब सत्य युग में सभी शक्ति पीठों का निर्माण हुआ था, अत: इस स्थान की देवी को दंतेश्वरी कहा गया।

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