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9 वर्षीय बालक ने अपने हाथों से गढ़ दिया मां दुर्गा देवी की मूर्ति

*भिखमपुरा में 9 वर्षीय बालक नैतिक पाणिग्राही ने अपने हाथों से गढ़ दिया माँ दुर्गा और देवी देवताओं की मूर्ति*
*4 वर्ष की उम्र से आंगन की मिट्टी को दे रहा था टेढ़े मेढ़े आकार -अब बना दिया हूबहू अवतार*

*देखने वालो ने कहा स्वयं माँ दुर्गा हैं विराजी*
रायगढ़   सरिया के ग्राम भिखमपुरा में 9 वर्ष के बालक नैतिक

पाणिग्राही ( ईशु ) ने चैत्र नवरात्रि पर अपने हाघो से माँ दुर्गा,माँ लक्ष्मी,माँ सरस्वती, श्री गणेश,श्री कार्तिकेय,महिसासुर और मूसक का मूर्ति बनाकर घर में स्थापित कर विधि विधिविधान से पूजा अर्चना कर रहा है,उसका भाव लगन और कला पूरे क्षेत्र में कौतूहल का विषय बना है अंचलवासी उसके निष्छल भक्तिभाव की भूरी भूरी सराहना कर रहे हैं।

कहते हैं पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं उस कहावत को सिद्ध कर रहा है ग्राम भिखमपुरा के सनातनी ब्राह्मण परिवार का एक छोटा सा बालक बतादें कि ग्राम भिखमपुरा में सेवानिवृत्त शिक्षक आनंद पाणिग्राही जिनका पैतृक ग्राम गोपालपुर है जो विगत 21, 22 वर्षो से अपने परिवार के साथ भिखमपुरा मे निवासरत हैं उनके छोटे पुत्र खिरोद पाणिग्राही और पुत्रवधू सुषमा पाणिग्राही के 9 वर्षीय छोटे पुत्र नैतिक पाणिग्राही ( ईशु) को सामान्य संस्कार सभी माता पिता की तरह देते रहे हैं किंतु केवल 4 वर्ष की उम्र से ही उसे धार्मिक भावनाओं से ओत प्रोत देखा गया,खेल खेल में भगवान की पूजा अर्चना कर सद्संस्कार की ओर बढ़ता रहा वही आंगन की मिट्टी से टेढ़े मेढ़े गणेश सरस्वती, विश्वकर्मा आदि देवी देवताओं का आकार बनाकर बच्चों के साथ पूजा करता रहा, समय के साथ हर वर्ष उसके लगन और मेहनत को देखकर घरवालों को भी लगा की इसकी रुचि मूर्ति बनाने में है,आंगन की मिट्टी के बाद ईशु ने अपने छोटे दोस्तो के साथ गांव के तालाब से मिट्टी लाकर मूर्ति गढ़ने लगा,जिससे उसके हाथ मे और सफाई आने लगी,अब उसने मिट्टी के ऊपर रंग रोगन करने की सोची और अपने पिता को कुछ रंग लाने को कहा,मूर्तियों को उसने पहली बार रंगा उसे और अच्छा लगा,बस उसकी कला उसकी भाव भक्ति ,घरवालों का सहयोग  उसे अच्छे अच्छे मूर्ति गढ़ने की प्रेरणा देने लगा,

इस बार नवरात्रि में ईशु ने अपने घर मे अपने हाथों से बनाये हुए माँ दुर्गा,माँ लक्ष्मी,माँ सरस्वती,श्री गणेश,श्री कार्तिकेय,मूसक और महिसासुर की मूर्ति सार्वजनिक पंडालों की तरह जगमगाती लाइट के साथ स्थापित किया है,

वही उसने स्वयं के विवेकानुसार हर देवी देवता के वाहन को भी उनके साथ बिठाया है देखने वाले एक नजर में यही कह रहे हैं कि इस बच्चे की निःस्वार्थ सेवा से लगता है कि माँ दुर्गा स्वयं विराजी हुई है।

आज इस बच्चे की कला भक्ति भाव को देखने के बाद यही लगता है कि समस्त माता पिता को अपने बच्चे के रुचि और कला का ध्यान और आदर जरूर करना चाहिए ताकि वह जीवन पथ में निरंतर प्रगति कर सके।

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