जंगल बैल चराने गए बुजुर्ग को हाथी ने कुचला,मौके पर ही हुई दर्दनाक मौत

असलम खान आपकी आवाज धरमजयगढ़

जंगल बैल चराने गए बुजुर्ग को हाथी ने कुचला, जिससे मौके पे ही उसकी दर्दनाक मौत हो गई।धरमजयगढ़ वनपरिक्षेत्र अंतर्गत ओंगना गांव के जंगल की यह घटना है।
बताया जा रहा है मृतक ग्रामीण जयनाथ एक्का कल शाम अपने कुछ साथियों के साथ मार नामक जंगल बैल चराने गया हुआ था.शाम को जब जयराम घर नहीं पहुंचा तो वहां के लोगों द्वारा आस पास क्षेत्र में उसकी तलाश की गई, लेकिन कहीं उसका पता नही चला.
और घने जंगल के अंदर जाकर तलाशने की किसी की हिम्मत नही हुई क्योंकि हाथी रात में उसी जंगल में मौजूद था.लिहाजा जयराम की तलाश सुबह की गई तो मार जंगल के अंदर जयराम की हाथी द्वारा कुचली हुई लाश मिली.
सूचना पर वन अमला घटना स्थल पहुंच मौका मुआयना कर फिलहाल आगे की फॉर्मेलिटी कार्यवाई कर रही है.
लेकिन यहां हम आपको बताना चाहेंगे की धरमजयगढ़ वन मंडल में हाथी की मौत होने पर वन विभाग के बड़े अधिकारी भारी चिल्ल पों मचाते हैं,यहां तक कि बिलासपुर से विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौका मुआयना करने आते हैं,वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट की टीम आती है ,और हाथी की मौत पर अपना दामन बचाते हुए किसी छोटे कर्मचारी बीट गार्ड को सस्पेंड करने से नहीं चूकते हैं.
वहीं दूसरी तरफ हम देखते हैं तो हाथी द्वारा कोई जनहानि होने पर वन मंडलाधिकारी झांकने तक नही जाते हैं,अलबत्ता छोटे अधिकारी कर्मचारी को भेजकर मामले का इतिश्री कर देते हैं।ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है की विभाग के आला अधिकारी एक आंख में काजल और दूसरे आंख में सुरमा लगाकर आखिर किसके साथ छल करते हैं?*धरमजयगढ़हाथी की मौत होने पर वन विभाग के बड़े अधिकारी भारी चिल्ल पों मचाते हैं,यहां तक कि बिलासपुर से विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौका मुआयना करने आते हैं,और हाथी की मौत पर अपना दामन बचाते हुए किसी छोटे कर्मचारी बीट गार्ड को सस्पेंड करने से नहीं चूकते हैं.वहीं दूसरी तरफ हम देखते हैं तो हाथी द्वारा कोई जनहानि होने पर वन मंडलाधिकारी झांकने तक नही जाते हैं,अलबत्ता छोटे अधिकारी कर्मचारी को भेजकर मामले का इतिश्री कर देते हैं।ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है की विभाग के आला अधिकारी “एक आंख में काजल और दूसरे आंख में सुरमा” लगाकर आखिर किसके साथ छल करना चाहते हैं? बहरहाल हाथी और इंसान के बीच क्षेत्र में लंबे समय से लगातार द्वंद बदस्तूर जारी है,जंगली हाथियों द्वारा कहीं ग्रामीणों के फसल चौपट किया जा रहा है,कहीं गरीब गांव वालों के आशियाना उजाड़ दिए जा रहे हैं।जनहानि की घटना भी आए दिन सुनने देखने मिल रहा है,इन मायनो में वन विभाग द्वारा हाथी से बचाव के सारे उपाय ढाक के तीन पात ही साबित हो रहे हैं।कहीं हाथी के नाम पर सरकारी पैसे से जेब गरम तो नही किया जा रहा??

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