लीलाओं में श्री कृष्ण ने दिया प्रेम का संदेश:श्रीमद् भागवत कथा में सुनाया श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग…

श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन गुरुवार को पंडित श्री उत्तम मिश्रा ने श्रीकृष्ण और रुकमणी का विवाह की अमृत वर्षा का श्रद्धालुओं को रसपान कराया। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान बीच में सुंदर-सुंदर झांकियां प्रस्तुत कीं।

कोरबा छत्तीसगढ़ – टीपी नगर चौक के स्थित शारदा विहार वार्ड चिमनी भट्ठा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथावाचक पंडित श्री उत्तम मिश्रा शिरली वाले ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह दिखाया भी था कि श्रीराधा और वह दो नहीं बल्कि एक हैं, लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया।

देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं। देवी रुक्मणी और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी है। इसी कहानी से प्रेम की नई परंपरा की शुरुआत भी हुई। देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुक्मणि का पूरा बचपन श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो इनके लिए कई रिश्ते आए लेकिन उन्होंने सभी को मना कर दिया। उनके विवाह को लेकर माता-पिता और भाई चिंतित थे। बाद में रुक्मणी का श्री कृष्ण से विवाह हुआ। बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।

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