
आशीष तिवारी आप की आवाज रायपुर
रायपुर। राजधानी रायपुर के मोवा स्थित सेंट विंसेंट पैलोटी कॉलेज रायपुर में 15 से 19 फरवरी 2022 तक पांच दिवसीय वर्चुअल FDP (फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम) संपन्न हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति प्रोफेसर केसरी लाल वर्मा एवं अतिथि विशेषज्ञ वक्ता के रूप में प्रोफ़ेसर राजीव चौधरी, विभागाध्यक्ष विधि विभाग(रायपुर), प्रोफेसर
डी.एन.सनसनवाल( इंदौर) की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
प्राचार्य डॉ कुलदीप दुबे ने अतिथियों का स्वागत करते हुए पैलोटी कॉलेज की संक्षिप्त परिचय बताया और इस FDP प्रोग्राम आयोजन का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा के मूलभूत विषयों पर चर्चा के साथ विषय विशेषज्ञों के माध्यम से शोध पत्र की चुनौतियां तथा उच्च स्तरीय शोध पत्रों(हाई इम्पैक्ट जर्नल्स) में शोध पत्र प्रकाशन कैसे किया जाए इस पर केंद्रित होने की बात कही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर केसरी लाल वर्मा ने अपने उद्बोधन में महाविद्यालय परिवार वर्चुअल FDP आयोजन तथा विभिन्न क्षेत्रों में महाविद्यालय के उपलब्धियों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए वर्चुअल माध्यम से जुड़े प्रतिभागियों को उच्च शिक्षा में गुणवत्तापूर्वक शोध करने पर बल देते हुए बताया कि वर्तमान में यूजीसी और नेक के गाइड लाइन में उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है उसी के आधार पर महाविद्यालय और विश्वविद्यालय को ग्रेडिंग प्रदान किया जाता है और नेक के द्वारा ग्रेडिंग प्राप्त संस्थानों के प्रति विद्यार्थी और पालको की उच्च शिक्षा में विश्वसनीयता बढ़ती है। विशेषज्ञ वक्ता प्रोफेसर राजीव चौधरी ने प्रजेंटेशन की माध्यम से प्रतिभागियों को गुणवत्ता पूर्वक शोध पत्र के प्रकाशन एवं शोध कार्य के समय किन-किन महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखा जाए तथा किसी भी विषय में टॉपिक निर्धारण के समय शोध मापदंडो का पालन कर शोध कार्य संपन्न की जाने की बात कही। प्रोफेसर चौधरी ने कहा कि शोधार्थी छोटी- छोटी शोध मापदंडो के पालन ना करने के कारण उनके शोध कार्य उच्च स्तरीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित नहीं हो पाता और ना ही उनके शोधकार्य में विश्वसनीयता का बढ़ती है। इसलिए शोधार्थियों को शोध नियमों का विशेष रूप से ध्यान देना चाहिये।
उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न भाग से उच्च शिक्षा से जुड़े हुए प्राध्यापकों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया ।