
खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले का खैरागढ़ शहर आज तड़के से गमगीन है। गम का यह माहौल दिन चढ़ने के साथ ही गहराता चला गया। जब शाम को शहर के गोल बाजार स्थित कोचर निवास से एक साथ पांच शवों की अंतिम यात्रा दाउचौरा के जैन मुक्तिधाम के लिए निकली, तो मानो भावनाओं का ज्वार चढ़ने लगा। एक साथ जब पांच चिताएं धधकीं तो मानो वहां मौजूद हर शख्स के हृदय में, ईश्वर के इस क्रूर फैसले के खिलाफ सुबह से उठ रही चिंगारी धधक उठी। खैरागढ़ में आज ऐसा दृश्य इसलिए उपस्थित हुआ क्योंकि शहर के गोल बाजार निवासी सुभाष कोचर अपने पूरे परिवार सहित बालोद निवासी अपने साले के बेटे की शादी में शामिल होकर वापस लौटते वक्त एक दुःस्वप्न सरीखे हादसे का शिकार हो गया। शादी में शामिल होकर लौट रहा परिवार भी दूसरे ही दिन से अपने घर में भी मांगलिक कार्यक्रम की तैयारियों में जुटने वाला था। परिवार की बिटिया वृद्धि की शादी जो दो मई को होने वाली थी। दो दिन बाद ही वैवाहिक रस्मों की शुरुआत होनी थी। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।
बचने के लिए बेटियों ने खूब हाथ-पैर चलाए हादसे के बाद जब कोचर परिवार की कार में आग लगी तो वहां कुछ ग्रामीण पहुंच गए। मौत के तांडव से साक्षात करने वाले इन प्रत्यक्षदर्शियों ने जो बताया उसे यहां लिखने में मेरे हाथ थरथरा रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पुलिया से टकराकर पलटते ही कार सवार सभी लोग बेहोश हो गए थे। सुभाष कोचर और उनकी पत्नी कांति तो बेहोशी के आलम में ही काल के गाल में समा गए, लेकिन पीछे बैठी बेटियां कम चोटिल थीं। आग की तपिश पड़ते ही वे होश में आ गईं। कार के भीतर पांच लोगों को फंसा देखकर आग बुझाने की कोशिश कर रहे ग्रामीण बताते हैं कि बेटियों ने खूब हाथ-पैर चलाकर कार के शीशे तोड़ डाले थे, लेकिन दरवाजे नहीं खोल पाए। इतने कम समय में ही कार आग के गोले में तब्दील हो गया कि न ग्रामीण कुछ कर पाए और न बेटियों को ही क्रूर काल ने वक्त दिया। प्रतिपल आग की तपिश बेटियों की कोशिशों को मंदा करती गईं और चंद मिनटों में ही कार के भीतर हरकत बंद हो गई। इसके साथ ही मेरे हाथ भी अब इस मार्मिक खबर को आगे बढ़ाने से रोक रहे हैं।