राष्ट्रपति चुनाव..को लेकर गरमाई सियासत, शुरू हुआ बयानबाजी का दौर

रायपुरः 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हलचल तेज है। NDA की तरफ से द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं। दोनों नेता अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसी कड़ी में द्रौपदी मुर्मू आज राजधानी रायपुर पहुंची और सभी विधायकों और सांसदों से समर्थन मांगा। उनके दौरे के बीच ही कांग्रेस ने सवालों और आरोपों की झड़ी लगा दी। जिसपर बीजेपी ने भी पलटवार किया।

राष्ट्रपति चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है। वैसे-वैसे आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज होता जा रहा है। NDA प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के छत्तीसगढ़ दौरे पर भी जमकर सियासी बयानबाजी हुई। इसकी शुरूआत कांग्रेस के राष्ट्रिय सचिव राजेश तिवारी की ओर से जारी एक बयान से हुई। AICC सचिव राजेश तिवारी ने आरोप लगाया कि देशभर में आदिवासियों के हितों पर किए जा रहे प्रहार और उनके वन अधिकार पर हो रही चोट से ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी ने महिला आदिवासी उम्मीदवार को उतारा हैं. उन्होंने 10 सवालों की सूची सामने रखते हुए सवाल किया कि क्या वो केंद्र सरकार के आदिवासी नीतियों का विरोध करेंगी। क्या उन सवालों का जवाब मतदान के पूर्व देंगी या पिंजरे में कैद पक्षी की तरह शोपीस बनी रहेंगी? क्या आदिवासी और वन अधिकारों की खातिर आवाज उटाएंगी? क्या वो जंगल के बेचने की नीति का समर्थन करती हैं? पेसा कानून का समर्थन करती हैं या नहीं ?

कांग्रेस नेता के आरोपों पर बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने पलटवार किया कि कांग्रेस हमेशा आदिवासियों की बात करती है लेकिन 50-60 साल तक सरकार में रहने के बाद भी उन्हें कभी आदिवासियों की सुध नहीं आई। बीजेपी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस सोच के स्तर पर दिवालिया हो चुकी हैं, इसलिए पहली बार आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाने की पहल पर भी सवाल खड़े कर रही हैं।

जाहिर है राष्ट्रपति चुनाव के बहाने बीजेपी की नजर 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव पर हैं। कई राज्यों में आदिवासी वाटर्स निर्णायक भूमिका में है। जिसमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है। यहां करीब 32 फीसदी आबादी आदिवासी हैं। ऐसे में बीजेपी ने महिला आदिवासी को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर बड़ा दांव खेला है। इस बात को कांग्रेस भी बखूबी समझती है। लिहाजा वो बीजेपी पर आदिवासी हितैषी होने का मुखौटा लगाने का आरोप लगा रही है। अब देखना है कि 2023 में आदिवासी वोटबैंक किसके पक्ष में जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button