
फुलेश्वरी ने खाली पड़े खेत को मनरेगा से डबरी बनाकर आर्थिक समृद्धि का जरिया बनाया
छुरा गरियाबंद
भूपेन्द्र गोस्वामी आपकी आवाज
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गरियाबंद / महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना अंतर्गत एक महिला हितग्राही ने खाली पड़े अपने 32 डिसमिल असिंचित खेत को डबरी में तब्दील कर आर्थिक समृद्धि का सशक्त जरिया बनाया है। फिंगेश्वर विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम भेण्डरी (लोहरसी) की रहने वाली श्रीमती फुलेश्वरी साहू ने मनरेगा अंतर्गत इस योजना का लाभ लेकर अन्य लोगों के लिए उदाहरण बन गई है। दरअसल में फुलेश्वरी और उनके पति घनश्याम साहू मनरेगा के जॉब कार्डधारी है और वे नियमित रूप से मनरेगा के कार्यो में कार्य करते है। जब उन्हें बता चला कि योजना अंतर्गत निजी भूमि में डबरी निर्माण किया जा सकता है, तो उन्होंने संबंधित ग्राम पंचायत से संपर्क किया और आवश्यक दस्तावेज व प्रक्रियाओं का पालन करते हुए आवेदन दिया। फलस्वरूप उन्हें जल्दी ही डबरी निर्माण की स्वीकृति मिल गई। डबरी निर्माण हेतु ग्राम पंचायत को क्रियान्वयन एजेंसी की जिम्मेदारी मिली। एक माह के भीतर डबरी निर्माण कर दिया गया। डबरी निर्माण के पश्चात फुलेश्वरी और उनके पति ने मछली पालन की योजना बनाई। पहले सीजन में पंकाज मछली का पालन कर लगभग 1 लाख 20 हजार रूपये का आय प्राप्त किया। इसके अलावा डबरी के मेढ़ो पर भी साग-सब्जी उगाकर कर 20 से 25 हजार रूपये अतिरिक्त आमदनी प्राप्त किया। डबरी खनन के पूर्व खेत से केवल धान की खेती हो पाती थी। पानी की सुविधा नहीं होने के कारण फसल भी कमजोर होता था। आज वे दोगुनी आमदनी अर्जित कर अपने और अपने परिवार की आर्थिक समृद्धि को सुरक्षित कर रहीं है। फुलेश्वरी ने बताया कि हमारा जमीन मनरेगा कार्य से पहले अनुपयोगी पडा था जिसका समुचित उपयोग नही हो पा रहा था। ग्राम पंचायत एवं रोजगार सहायक की सलाह उम्मीद की एक किरण लेकर आई। जिन्होने आजीविका संवर्धन और आमदनी बढ़ाने के लिए हमें मछली पालन की सलाह दी। जिस कारण आज एक उपयोगी डबरी बन जाने से हमारे लिए आजीविका के साधन का निर्माण हो गया। साथ ही डबरी में पानी रहने से सिंचाई का साधन भी निर्मित हुआ हैं।