राहुल और प्रियंका ने देखा लक्ष्मण देवालय….. 1700 साल पुराना मंदिर , आधे घंटे में सिरपुर के तीवरदेव विहार, सुरंग टीला का किया अवलोकन

महाधिवेशन के सेशन दोपहर तक अटेंड कर राहुल और प्रियंका गांधी आसपास घूमने निकल गए हैं। शाम करीब 4 बजे दोनों महासमुंद जिले के सिरपुर पहुंचे। सिरपुर का प्राचीन नाम श्रीपुर माना जाता है। सोमवंशी राजाओं की यह राजधानी थी। उस समय इस क्षेत्र को दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। राहुल और प्रियंका ने सिरपुर के प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर को देखा। यह मंदिर 17 सौ साल से समय की मार झेलने के बावजूद मजबूती से खड़ा है। इस समय उनके साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी थे।

भारत में लाल ईंटों के नागर शैली के इस अनोखे और पहले मंदिर को सोमवंशीय राजाओं ने सन 525 से सन 540 के बीच बनवाया था। राहुल-प्रियंका ने इस मंदिर को चारों ओर से देखा। इसकी मूर्तियों, मंदिर की दीवारों पर बनी कलाकृतियों को देखकर वे आश्चर्यचकित हो गए। मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने उन्हें इस मंदिर के बारे में जानकारी दी। उन्हें बताया गया कि ऐसा माना जाता है कि मंदिर का निर्माण राजा हर्षगुप्त की मृत्यु के बाद उनकी याद में रानी वासटादेवी ने कराया था।

इसे एक स्त्री के प्रेम के प्रतीक के रूप में भी माना जाता है। राहुल और प्रियंका यहां करीब 45 मिनट रहे। उन्हें बताया गया कि 14 वीं 15 वीं सदी में महानदी की भयंकर बाढ़ के कारण पूरा इलाका तबाह हो गया, लेकिन यह मंदिर आश्चर्यजनक रूप से बच रहा।

क्यों प्रसिद्ध है सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर

रायपुर से करीब 75 किलोमीटर दूर लक्ष्मण मंदिर स्थित है। महानदी के तट पर स्थित इसकी विशेषता है कि इस मंदिर में ईंटों पर नक्काशी करके कलाकृतियां निर्मित की गई हैं, जो अत्यंत सुन्दर हैं। क्योंकि अक्सर पत्थर पर ही ऐसी सुन्दर नक्काशी की जाती है। गर्भगृह, अंतराल और मंडप, मंदिर की संरचना के मुख्य अंग हैं। साथ ही मंदिर का तोरण भी उसकी प्रमुख विशेषता है। मंदिर के तोरण के ऊपर शेषशैय्या पर लेटे भगवान विष्णु की अद्भुत प्रतिमा है।

इस प्रतिमा की नाभि से ब्रह्मा जी के उद्भव को दिखाया गया है और साथ ही भगवान विष्णु के चरणों में माता लक्ष्मी विराजमान हैं। इसके साथ ही मंदिर में भगवान विष्णु के दशावतारों को चित्रित किया गया है। हालांकि यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। लेकिन यहां गर्भगृह में लक्ष्मण जी की प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा 5 फन वाले शेषनाग पर आसीन है।

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