न्यूज़रायगढ़

क्या इस बार रामायण महोत्सव औऱ राम के नाम पर सत्ता पाने की तैयारी

हमेशा राम के नाम पर भाजपा को को कौशने वाले लोगो को इस बार राम की ही याद आ ही गई

रायगढ़। मोदी है तो मुमकिन है के तर्ज पर छत्तीसगढ़ के काग्रेसियो ने अपने मुखिया भूपेश बघेल के लिये यह नारा गढ़ा कि भूपेश है तो भरोसा है, पर सच्चाई यह है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आगामी चुनाव को लेकर पूरी तरह रामभरोसे है। इस चुनावी साल में उनके पास अपनी सरकार की उपलब्धि गिनवाने को कुछ नहीं है इसलिये उन्होंने भगवान राम की शरण ले ली है। इन दिनों पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित रामायण उत्सवों की धूम है। सरकार के संस्कृति विभाग ने राम के नाम पर अपनी तिजोरी खोल दी है। ब्लाग मुख्यालयों से जिला और राज्य स्तर तक रामायण उत्सव का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जा रहा है। इन मायनों में छत्तीसगढ़ के सीमांत पर स्थित रायगढ़ जिला मुख्यालय में आयोजित राज्य स्तरीय रामायण उत्सव को सूबे के सियासी हल्कों में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव का आगाज माना जा रहा है।
यह उल्लेखनीय है कि रायगढ़ में आयोजित रामायण उत्सव पर करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाये जा रहे हैं। इस उत्सव के लिये रामलीला मैदान में एक विशाल पंडाल बनया जा रहा है जिसमें एक बार में १५ हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी। अलावे इसके पंडाल स्थल में तमाम सुविधाएं भी उपलब्ध रहेंगी। रामलीला मैदान में तीन दिनों तक आयोजित इस उत्सव में देश की बहुत सी नामी-गिनामी हस्तियों को ही नहीं बड़ी संख्या में रामायण पर दखल रखने वाले विदेशी हस्तियों को भी आमंत्रित किया गया है। उत्सव में भारत के जिन हस्तियों को आमंत्रित किया गया है उनमें विख्यात कवि कुमार विश्वास, गायिका मैथली ठाकुर जैसी हस्तियां भी शिरकत करेंगी।
यहां यह भी बताना होगा कि भूपेश बघेल ने चुनावी साल के शुरूवाती दौर से पहले ही भाजपा से हिंदुत्व का मुद्दा बड़ी चतुराई से हाईजेक कर लिया था। भूपेश बघेल ने अयोध्या में राम मंदिर के मुकाबले में छत्तीसगढ़ में भगवान श्री राम की मां, माता कौशल्या देवी का भव्य मंदिर बनवा दिया। अलावे इसके छत्तीसगढ़ को भगवान राम की कर्म भूमि बतलाते हुए उनकी सरकार ने छत्तीसगढ़ में अरबों रूपये फूंक कर राम वन पथ गमन मार्ग का निर्माण कराया है। भूपेश सरकार यह राम भक्ति यह भी जाहिर करती है कि उसे अपने कर्मों पर कम भगवान राम पर ज्यादा भरोसा है। जहां तक भूपेश सरकार की जनहित से जुड़े कई कार्यों का सवाल है उसमें भी उसकी बहुप्रचारित नरवा, घुरूवा, गरवा और बाड़ी परियोजना के आलावा गौ मूत्र का तो गोबर गणेश हो चुका है।
इस योजना के नाम पर बनवाये गये ज्यादातर गोठानों का वजूद कागजों में ही सीमट का रह गया है। जो कुछ गोठान हकीकत में है वहां की व्यवस्था भी अव्यवस्था के चरम पर है। किसी गोठान में अगर चारा है तो वहां गाय नहीं है और जहां गाये है वहां चारा नहीं है। इससे अलग गोठानों के नाम पर गायों की तस्करी के अड्डों का संचालन बेखौफ किया जा रहा है। भूपेश सरकार के इस बड़े प्रोजेक्ट के अलावे और जितनी भी योजनाएं है उनका वजूद सरकारी प्रचार तंत्र के अलावे वास्तव में और कहीं नहीं दिखलाया पड़ता। बावजूद इसके अगर भूपेश सरकार की छत्तीसगढ़ की सत्ता में वापसी होती है तो उसका श्रेय भगवान राम के अलावे और किसी को नहीं दिया जा सकता।
सुभाष त्रिपाठी, रायगढ़

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