रायगढ़ : मिली जानकारी के अनुसार जुटमिल क्षेत्र में लगने वाले हर साल मीना बाजार को लेकर हमेशा किसी न किसी बात को लेकर सुर्खियों में रहता है कभी पार्किंग से जुड़ा हो या फिर रायगढ़ रेलवे स्टेशन से सारंगढ़ बस स्टैड जाने का मुख्य रास्ता होने के वजह से आने जाने का रास्ता बधित होने का वजह हो काफी परेशानियों का सामना होता है जिसको लेकर पिछले साल भी काफी हो हल्ला हुआ था मामला हाई कोर्ट तक भी पहुंचा था
खबर मिल रही है कि सावित्री नगर में लगने वाले इस साल मीना बाजार को भी लेकर वहां के रहवासी और पार्षद एक बार पुनः हाई कोर्ट बिलासपुर में मीना बाजार नहीं लगाने को लेकर याचिका डालने की तैयारी में है यह कहना गलत नहीं होगा कि मीना बाजार संचालित के समय आने जाने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है वही असामाजिक तत्वों का एक डेरा भी बन जाता है हाल फिलहाल कुछ वर्षों से देखा जाए तो लोग अपना परिवार लेकर मीना बाजार जाना काफी कम करते चले जा रहे हैं या फिर यूं कहे कि परिवार लेकर मीना बजार जाने वाले लोगों की तादाद काफी संख्या में घटती चली जा रही है
दूसरा मीना बजार मुख्य मार्ग के किनारे दुर्घटना में जिम्मेदार कौन : रायगढ़ नगर निगम क्षेत्र में जन्माष्टमी को लेकर काफी धूमधाम रहता है और शहर में काफी चहल पहल देखने को मिलता है जिले एवं जिले के बाहरी जिलों के आलावा पड़ोसी राज्य के भी लोग जन्माष्टमी मेले में आते हैं इस बार जन्माष्टमी को लेकर नगर निगम क्षेत्र में दो मीना बाजार लगने वाले हैं
वही दोनों मीना बाजार को लगाने को लेकर विरोध के स्वर प्रारंभ हो गए हैं सावित्री नगर में लगने वाले मीना बाजार को लेकर पार्षद एवं प्रवासी हाईकोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे हैं तो दूसरा मीना बाजार ट्रांसपोर्ट नगर मुख्य राज्य मार्ग के समीप लगाने की तैयारी की जा रही है जिसको लेकर जिला प्रशासन के दिए अनुमति पर ही रायगढ़ के बुद्धि जीवी लोगों के द्वारा सवालिया निशान खड़ा किया जा रहा है उनका मानना है कि मुख्य सड़क मार्ग के समीप होने की वजह से मीना बाजार में आने वाले लोगों का किसी कारणवश कोई दुर्घटना हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा क्या जिला प्रशासन होगा, क्या मीना बाजार संचालक होगा,या फिर स्वयं दुर्घटना वाले व्यक्ति खुद जिम्मेदार होंगे यह समझ से परे है की आखिर ऐसे जोखिम वाले जगह पर जिला प्रशासन के द्वारा अनुमति कैसे दी गई या फिर आम आदमी को किसी चीज की अनुमति लेने के लिए बार बार पैर घिसने पड़ते हैं तो ऐसे लोगों को बिना सवालिया निशान खड़े किए कैसे अनुमति मिल जाती है वहीं दूसरी तरफ शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या दोनों मीना बाजार में अनुमति प्रदान करने के समय झोल झाल हुआ होगा तभी तो बिना सोचे समझे परमिशन आसानी से मिल जाता है