
केंद्रापाड़ा ज़िले के औल क्षेत्र के एकमानिया गांव से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यहां तीन परिवारों की कुल 73 भैंसें नदी पार करते समय डूब गईं, जिससे पूरे गांव में मातम का माहौल है।
हादसा कैसे हुआ?
गांव के तीन पशुपालक – गणेश दास, जगन्नाथ दास और पागला बिश्वाल – रोज़ की तरह करीब 90 भैंसों को चराने ले गए थे। वापसी के दौरान जब भैंसें गलिया नदी पार कर रही थीं, तभी अचानक नदी का बहाव तेज हो गया। तेज धारा में फंसकर भैंसें एक-एक कर डूबती चली गईं और देखते ही देखते 73 भैंसों की मौत हो गई।
ग्रामीणों का शक
इस घटना के बाद ग्रामीणों में गहरी आशंका और गुस्सा है। उनका कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में भैंसों का डूबना सामान्य नहीं हो सकता। कुछ ग्रामीणों को शक है कि नदी का पानी जहरीला हो गया होगा, क्योंकि आसपास झींगा और मछली पालन के लिए भारी मात्रा में कीटनाशकों का इस्तेमाल होता है। संभव है कि वही रसायन नदी में मिलकर भैंसों के लिए जानलेवा साबित हुआ हो।
प्रशासन और जांच
घटना की जानकारी मिलते ही पशु चिकित्सकों की टीम मौके पर पहुंची। दो भैंसों का पोस्टमॉर्टम किया गया और उनके अंगों के साथ-साथ नदी के पानी के नमूने भी जांच के लिए लैब भेजे गए हैं।
पशु संसाधन विभाग के एडिशनल डायरेक्टर गिरधारी भोई ने बताया,
> “प्रारंभिक जांच में यह संभावना लग रही है कि नदी के किनारे दलदली जगह पर भैंसें फंस गई होंगी, जिससे वे निकल नहीं पाईं और डूब गईं। हालांकि, अंतिम पुष्टि रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगी। पानी के नमूनों में फिलहाल किसी तरह की गंदगी का पता नहीं चला है। पोस्टमॉर्टम में भैंसों के फेफड़ों की स्थिति डूबने जैसी ही है।”
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि प्रभावित परिवारों को राहत और सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
गांव में मायूसी
एक साथ इतनी भैंसों की मौत ने किसानों की जीविका छीन ली है। इन भैंसों से ही उनका घर चलता था। अब वे पूरी तरह टूट चुके हैं और प्रशासन से मुआवज़े व न्याय की मांग कर रहे हैं।