
रायपुर। रायपुर-विशाखापट्टनम मार्ग पर बन रही भारतमाला परियोजना में करोड़ों रुपए के मुआवजा घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। लगभग 32 करोड़ रुपए की हेराफेरी मामले में गिरफ्तार किए गए तीन पटवारी दिनेश पटेल, लेखराम देवांगन और बसंती धृतलहरे को मंगलवार को कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया। सात दिन की रिमांड पूरी होने के बाद ईओडब्ल्यू ने उन्हें अदालत में पेश किया था।
फर्जी नामांतरण और जमीन बंटवारे से रचा गया घोटाला
ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कि घोटाला नायकबांधा, भेलवाडीह और टोकरो गांवों की जमीनों से जुड़ा है। पटवारियों ने साल 2022 में बैकडेट में रिकॉर्ड तैयार कर 2020 से पहले के नामांतरण और बंटवारे दर्शाए।
एक ही जमीन को कई हिस्सों में बांटकर अलग-अलग किसानों के नाम पर दर्ज किया गया और फिर एसडीएम कार्यालय से मुआवजा स्वीकृत करवा लिया गया।
जांच में अब तक लगभग 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की गड़बड़ी दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से सामने आई है, जबकि कुल घोटाला राशि करीब 32 करोड़ रुपए तक पहुंचने की आशंका है।
प्रॉपर्टी डीलर और कारोबारी भी साजिश में शामिल
मामले में महासमुंद के प्रॉपर्टी डीलर हरमीत खनूजा, जिसकी पत्नी तहसीलदार है, को इस पूरे षड्यंत्र का मुख्य कड़ी माना जा रहा है।
उसके साथ कारोबारी विजय जैन, खेमराज कोसले और केदार तिवारी की मिलीभगत भी जांच में उजागर हुई है।
किसानों को डर दिखाकर लिए गए ब्लैंक चेक
आरोपियों ने किसानों को यह कहकर डराया कि यदि वे सहयोग नहीं करेंगे तो उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा। फिर किसानों से ब्लैंक चेक और आरटीजीएस फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाए गए।
आइसीआइसीआइ बैंक, महासमुंद में फर्जी खातों में मुआवजे की रकम जमा कर, गिरोह के सदस्यों में बांट दी गई।













