
रायपुर। छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी की हालिया फेसबुक पोस्ट को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई है। पोस्ट में आज़ादी के बाद पहले 50 वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर को “इग्नोर” किए जाने का दावा और रावघाट–जगदलपुर रेल लाइन की स्वीकृति को वर्तमान केंद्र सरकार की नई उपलब्धि बताने पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के जिला उपाध्यक्ष प्रिंकल दास ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे इतिहास को तोड़–मरोड़कर राजनीतिक श्रेय लेने का प्रयास बताया।
इंफ्रास्ट्रक्चर की ‘उपेक्षा’ का दावा भ्रामक
प्रिंकल दास ने कहा कि आज़ादी के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं दिए जाने का आरोप तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1947 में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई लगभग 22,000 किमी थी, जो 2014 तक बढ़कर 91,287 किमी हो गई। यह औसतन हर वर्ष 1,000 किमी से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है।
2014 के बाद सड़क निर्माण की गति तेज़ हुई और 2024 तक यह नेटवर्क 1,46,000 किमी से अधिक पहुंचा, लेकिन इसकी बुनियाद पहले की सरकारों के दौर में ही रखी गई थी। इसी तरह रेल नेटवर्क, विद्युतीकरण, सिंचाई परियोजनाएं और औद्योगिक ढांचे का विकास भी निरंतर होता रहा। प्रारंभिक दशकों में देश की प्राथमिकताएं कृषि, खाद्य सुरक्षा और औद्योगिक नींव पर केंद्रित थीं। ऐसे में “इग्नोर” का आरोप अतिशयोक्तिपूर्ण और भ्रामक है।
रावघाट–जगदलपुर रेल लाइन: नई नहीं, दशकों पुरानी परियोजना
प्रिंकल दास ने स्पष्ट किया कि रावघाट–जगदलपुर रेल लाइन कोई नई स्वीकृति नहीं है। यह परियोजना 1995–96 के रेल बजट में शामिल की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य रावघाट खदानों से भिलाई और नागरनार स्टील प्लांट तक लौह अयस्क का परिवहन था।
दल्ली–राजहरा से जगदलपुर तक 235 किमी लंबी इस रेल लाइन का पहला चरण 2000 के दशक में शुरू हुआ, जबकि दूसरे चरण के लिए 2016 में अधिसूचना जारी की गई। मई 2025 में ₹3,513.11 करोड़ की अंतिम फंडिंग स्वीकृति मिली। देरी के पीछे नक्सलवाद, वन और पर्यावरणीय मंजूरियों से जुड़े कानूनी अड़चनें प्रमुख कारण रहीं।
विकास सामूहिक प्रयास, श्रेय किसी एक का नहीं
प्रिंकल दास ने कहा कि 2014 के बाद सुरक्षा व्यवस्था में सुधार और फंडिंग से परियोजना को गति अवश्य मिली है, लेकिन इसे “पहली बार स्वीकृत” बताना ऐतिहासिक सच्चाई से आंखें मूंदने जैसा है। बस्तर क्षेत्र की कनेक्टिविटी और विकास के लिए यह रेल लाइन महत्वपूर्ण है, परंतु राजनीतिक श्रेय की होड़ में तथ्यों को तोड़–मरोड़ना जनता के साथ अन्याय है।
प्रिंकल दास के अनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास किसी एक सरकार की उपलब्धि नहीं, बल्कि दशकों की नीतियों, इंजीनियरों, मजदूरों और योजनाकारों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है। तथ्यपूर्ण और संतुलित चर्चा से ही वास्तविक विकास की सही समझ बन सकती है।














