बड़ी खबर : 35 लाख किसानों को आज मिलेगी 16 सौ करोड़ रुपये की राहत, वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किसान सम्मेलनों को संबोधित करेंगे पीएम:-
आशीष तिवारी
रायपुर/ भोपाल। मध्य प्रदेश में आज 18 दिसंबर को होने वाले किसान सम्मेलनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय से जानकारी दी गई है कि आज पीएम मोदी दोपहर में दो बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किसान सम्मेलनों को संबोधित करेंगे।
35 लाख किसानों को 16 सौ करोड़ रुपये की राहत
शुक्रवार को मध्यप्रदेश के 35 लाख से ज्यादा किसानों को 16 सौ करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता सरकार देगी। खरीफ फसलों को अतिवृष्टि और कीट व्याधि से हुए नुकसान की भरपाई के लिए यह राशि सीधे उनके खातों में अंतरित की जाएगी। राज्य स्तरीय मुख्य कार्यक्रम रायसेन में होगा, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी किसानों को संबोधित करेंगे। सभी मंत्री, सांसद और विधायक भी जिला विकासखंड और पंचायत स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।
किसान सम्मेलन की तैयारी को लेकर मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कलेक्टरों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की। इसमें उन्होंने निर्देश दिए कि सम्मेलन में किसान क्रेडिट कार्ड का वितरण भी किया जाए। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों से कहा कि कार्यक्रम की तैयारी युद्ध स्तर पर करें।सभी किसानों को सम्मेलन की सूचना पहुंचा दी जाए। किसानों के साथ-साथ पशुपालकों को भी लाभ वितरण किया जाए। कृषि, ग्रामीण विकास, राजस्व विभाग मिलकर तैयारियों को अंतिम रूप दें
कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए शारीरिक दूरी का पालन अवश्य हो और सभी किसान मास्क पहनकर ही कार्यक्रमों में हिस्सा लें। बैठक में बताया गया कि मुख्यमंत्री के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से किसानों को लगभग दो बजे संबोधित करेंगे। बताया जा रहा है कि सम्मेलनों में नए कृषि कानून के लाभकारी प्रविधानों के बारे में किसानों को जानकारी दी जाएगी।
गौरतलब है कि प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ सरकार कई दौर की वार्ता कर चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सका है, क्योंकि किसान तीनों कानून रद्द करने की जिद पर अड़े हैं। सरकार की तरफ से पहले कमेटी बनाने की बात कही गई थी। उस पर किसान संगठन सहमत नहीं हुए तो सरकार की तरफ से ऐसे प्रावधानों में संशोधन भी सुझाए गए, जिन्हें लेकर किसानों में आशंका हो सकती है। सरकार के संशोधन प्रस्ताव के बाद भी किसानों की तरफ से अब तक वार्ता के लिए हामी नहीं भरी गई है।