कोरोना का टीका है सुरक्षित, अपनी बारी आने पर जरूर लगवाएं


जिले की नर्सों ने साझा किए अपने अनुभव
टीके से इम्युनिटी बढ़ती है, मास्क और दो गज दूरी है जरूरी : मेनका चौहान
आधा मिलीलीटर टीके ने अकल्पनीय ऊर्जा दी : पुष्पलता पाणिग्रही

रायगढ़ 5 अप्रैल 2021 जिले में कोविड वैक्सीन लगवाने को लेकर पात्र लोगों में गजब का उत्साह और आत्मविश्वास है। टीकाकरण के मामले में जिला पूरे प्रदेश में तीसरे-चौथे पायदान पर है। कलेक्टर भीम सिंह, सीएमएचओ डॉ. एसएन केसरी, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. भानू पटेल व स्वास्थ्य विभाग की मेहनत रंग ला रही है। टीकाकरण केंद्रो में लोगों की उमड़ती भीड़ इसकी सफलता की कहानी बता रही है। इन टीकाकरण केंद्रों में टीका लगाने की जिम्मेदारी नर्सों पर हैं इन नर्सों ने बीते 14 महीने से कोविड काल में अथक परिश्रम किया है और लगातार अपनी सेवाएं दे रही हैं। इनमें से ज्यादातार कोविड पॉजिटिव हुईं फिर भी वर्क फ्रॉम होम जारी रखा। टीका लगने से पहले और उसके बाद इन्हें कैसा लगा इस पर कुछ नर्सों ने अपना अनुभव साझा किया।
16 जनवरी 2021 को जिले का पहला टीका सोनू बंधन को लगाने वाली 30 साल की नर्स मेनका चौहान बताती हैं “वह दिन एक इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। 22 साल की उम्र में नर्सिंग पेशे में आने के बाद यह पहला मौका था जब गर्व की अनूभूति हुई। एक साल से हमें इस दिन का इंतजार था। बीते साल जनवरी से ही हमारी कोविड ड्यूटी लगी थी, शुरुआत में जब मरीज नहीं थे तो स्क्रीनिगं, होम आइसोलेशन जैसी जिम्मेदारियां थी फिर जैसे-जैसे केसेस बढ़े हमारे काम का दायरा बढ़ा, टेस्टिंग, मेडिसीन देना और निगरानी जो भी जिम्मेदारी मिली उसी बखूबी निभाती रही। वर्तमान में मेडिकल कॉजेल में वैक्सीनेटर का काम कर रही हूं। 22 जनवरी को टीका लगवाने की मेरी बारी थी, मुझे डर बिलकुल भी नहीं लगा क्योंकि वैक्सीन तो मैं खुद 16 जनवरी से दूसरों को लगा रही थी पर हां घबराहट थी जो टीका लगने के थोड़ी देर बाद ही दूर हो गई। नियत समय बाद दूसरा डोज भी लगवाया और अभी अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा रहीं हूं।“

आपकी सुरक्षा आपके हाथ : नर्स मेनका
मेनका कहती हैं कि कोविड का टीका पूरी तरह से सुरक्षित है लोगों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। शुरुआत में इसके बारे में कुछ नकारात्मक अफवाहें फैलाईं गई थी अब लोग धीरे-धीरे समझ रहे हैं और टीकाकरण केंद्रों में भीड़ आना शुरू हो गई है। जिन लोगों ने टीका लगा लिया है वह यह नहीं समझे की उन्हें कोरोना नहीं होगा और वो कोविड गाइडलाइन का पालन नहीं करते, मास्क नहीं लगाते। टीका सिर्फ आपकी इम्यूनिटी बढ़ाता है, आपको मास्क लगाना है और दो गज दूरी का भी पालन करना है। आपकी सुरक्षा आपके हाथ में, जरा सी भी लापहवाही जानलेवा हो सकती है।

टीके ने भरा आत्मविश्वास : नर्स पुष्पा
शहरी क्षेत्र की नर्सिंग सुपरवाइजर पुष्पलता पाणिग्रही अपना अनुभव बताती हैं कि कोरोना काल में घर-घर जाकर सैंपल, दवाई देना, सील करना, ट्रेसिंग जैसी सभी जिम्मेदारियो निभाई इस दौरान कोविड पॉजिटिव भी आई, इससे फील्ड से बस 17 दिन दूर रहना पड़ा लेकिन ऑन कॉल पर इस दौरान भी मौजूद रहीं। अथक काम और परिश्रम में पूरा साल बीत गया। फील्ड से घर और घर से फील्ड यही दिनचर्या रही। वैक्सीन आने के बाद उसे लगवाने की मॉनिटरिंग भी करना है लेकिन जब मेरी बारी आई तो संतुष्टि हुई कि खतरा थोड़ा सा कम हुआ पर कम नहीं हुआ। टीका लगाने को लेकर कभी कोई घबराहट नहीं हुई और न ही हिचकिचाई, हम सीनियर्स हैं और हमें देखकर जूनियर्स में सकारात्मक भाव जागेंगे इस बात का हमें भलीभांति भान था।
टीके को लेकर हमने कई कयास लगाए थे कि कब आयेगा, ऐसा होगा वैसा होगा पर जैसे ही मुझे लगा मानों एक गजब का आत्मविश्वास अंदर आ गया। डोज भले ही आधा मिलीलीटर का लगा पर जो ऊर्जा का संचार हुआ उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। 28 साल से नर्सिंग पेशे में पहली बार इस प्रकार की कोरोना जैसी विकट चुनौतियों से सामना हो रहा है और हम अपना शत प्रतिशत योगदान दे रहे हैं। लोगों को अभी भी सावधान रहने की जरूरत है।

घर का विरोध समझाने से दूर हुआ : नर्स रेखा
संत माइकेल स्कूल स्थित टीकाकरण केंद्र में ड्यूटी कर रही जिले की वरिष्ठतम नर्स (30 साल का अनुभव) रेखा सेनगुप्ता बताती हैं कि वैक्सीन आने के बाद उसे लगाना मेरे लिए बड़ी चुनौती थी। घर के सभी लोगों ने वैक्सीन के परिणाम पर शंका जताते हुए टीका नहीं लगाने देने पर अड़े थे लेकिन उन्हें मनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। टीके का कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं आया उल्टा टीका लगाने के बाद यह एहसास प्रबल हो गया कि मेरी इम्युनिटी बढ़ गई है और सावधानी पूर्वक अब पहले से ज्यादा काम कर सकती हूं। कोरोना काल में नर्स पुष्पा और मैं दोनों ने ही साथ-साथ काम किया। जब पुष्पा पॉजिटिव आईं तो एक समय लगा कि मैं अकेली हो गई हूं और इतने बड़े शहरी क्षेत्र में काम कैसे होगा तब आत्मविश्वास ही था कि एक सब ठीक हो जाएगा तब तक अपने हिस्से का काम करूं और अंतत: वह दिन 16 जनवरी के रूप में आया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button