Bastar : विकास के बड़े बड़े दावे खोखले …..मोमबत्ती के रौशनी में हुआ जुड़वा बच्चो का जन्म, जानें पूरा मामला

प्रदेश सरकार बस्तर में विकास के लाख दावे करें लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है, बस्तर संभाग के ऐसे सैकड़ों गांव है जहां अब तक बिजली नहीं पहुंच पाई है, वहीं आजादी के 75 वर्ष बाद भी बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है. वही गांव तक बिजली नहीं पहुंचने से उन्हें कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है.

मोमबत्ती के रौशनी में हुआ बच्चे का जन्म
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में भी एक ऐसा ही मामला सामने  आया है जहां जिले के अंतिम गांव बेचा में मोमबत्ती और मोबाईल टार्च की रोशनी से  स्वास्थ्य विभाग की एक एएनएम ने बिना किसी सुविधा और संसाधन के एक ग्रामीण महिला का प्रसव कराया, इसमे खास बात यह रही कि  महिला ने जुड़वा बच्चे को जन्म दिया, और राहत वाली बात यह रही कि जच्चा और बच्चे दोनों स्वस्थ हैं, इस कार्य के लिए स्वास्थ्य विभाग की एएनएम ममता गढ़पाले की प्रशंसा जरूर हो रही है, लेकिन इस वाक्या के बाद यह साफ हो गया है कि बिजली के अभाव में  यहाँ के ग्रामीण  और स्वास्थ विभाग का अमला किन समस्याओं का सामना कर रहा हैं.

मोमबत्ती के रोशनी में सफल हुआ प्रसव
दरअसल बस्तर संभाग के संवेदनशील क्षेत्रों में स्वास्थ विभाग का अमला एक एक ग्रामीण तक स्वास्थ लाभ पहुंचे इसके लिए मेहनत कर रहा है, लेकिन उन्हें बिजली जैसी  जरूरी संसाधन के अभाव में कई समस्याओं से जूझना पड़ता है, वही ग्रामीण भी कब इस अंधेरे से मुक्ति मिले इसका बीते 75 सालों से इंतजार कर रहे हैं, बिजली के अभाव में ग्रामीणों को कई सारे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वही सबसे जरूरी पेयजल और स्वास्थ्य  सुविधा दोनों की भी समस्या बनी हुई है, स्वास्थ विभाग की एएनएम ममता गढ़पाले ने बताया कि बेचा गांव निवासी 32 साल की श्यामाबाई कश्यप के पति राम जी कश्यप द्वारा 8 महीने पहले  गर्भवती होने की सूचना दी थी ,जिसके बाद समय-समय पर परिजनों के द्वारा श्यामा को उनके पास लाया जा रहा था, वही एक दिन प्रसव पीड़ा होने की जानकारी परिजनों से मिलने के बाद गर्भवती महिला को  दुर्गम रास्तों के कारण कोंडागांव शहर तक लाना संभव नहीं था, ऐसे में उन्होंने बिना देर किए मोमबत्ती और मोबाइल के टोर्च की रोशनी से प्रसव करवाया और दो स्वस्थ बच्चों को माँ ने जन्म दिया, वही इस प्रसव की खुशी मां से अधिक ममता को हुई.

आजादी के 75 साल बाद भी नही पहुचीं बिजली
हालांकि एएनएम ममता गढ़पाले के द्वारा मोमबत्ती की रोशनी और बिना संसाधन के  सफलतापूर्वक प्रसव कराया और अब मां और बच्चे दोनों स्वस्थ हैं ,लेकिन बिजली और संसाधनों के अभाव में किस तरह से ग्रामीणों को इस तरह की समस्या से दो चार होना पड़ता है, यह बानगी भी इस वाकये से  देखने को मिली ,हालांकि विद्युत विभाग के अधिकारी इस संवेदनशील इलाकों में बिजली पहुंचाने का प्रयास करने की बात कह रहे हैं, लेकिन इन इलाकों में  सड़क नहीं होने से  परेशानियों का सामना करने की बात कह रहे हैं, वहीं ऐसे इलाको में  सरकार के विकास के दावे केवल कागजो में ही सिमट कर रह गये है, और इस संवेदनशील क्षेत्र में रहने वाले सैकड़ो ग्रामीण आज भी अपनी सबसे जरुरी सुविधाओ के लिए जूझ रहे हैं.

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