
रायगढ़, 21 दिसंबर। मनरेगा को समाप्त कर उसके स्थान पर ‘जी राम जी’ योजना लागू किए जाने के विरोध में कांग्रेस ने देशभर में धरना-प्रदर्शन किया। रायगढ़ में स्थानीय गांधी प्रतिमा के पास जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण व शहर के संयुक्त नेतृत्व में कांग्रेसजनों ने केंद्र सरकार की नीति के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया और इसे ग्रामीण रोजगार व मजदूर अधिकारों पर सीधा प्रहार बताया।
प्रस्तावना: “अधिकार आधारित कानून से छेड़छाड़”
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के परिपत्रानुसार, केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को निरस्त कर ‘जी राम जी’ नाम से नया विधेयक संसद में आनन-फानन में पारित कराए जाने को कांग्रेस ने सुनियोजित और चिंताजनक कदम करार दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह सामान्य विधायी प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक, अधिकार आधारित जनकानून को कमजोर करने का राजनीतिक प्रयास है, जिसका उद्देश्य महात्मा गांधी के नाम और मूल्यों को हटाना है।
रायगढ़ में प्रदर्शन: “अन्यायपूर्ण नीति के विरुद्ध हुंकार”
रायगढ़ में जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण अध्यक्ष नगेंद्र नेगी और शहर अध्यक्ष शाखा यादव के नेतृत्व में हुए धरना-प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कांग्रेसजन शामिल हुए। नेताओं ने सरकार की नीति की निंदा करते हुए कहा कि मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना से नाम और मूल स्वरूप में छेड़छाड़ कर ग्रामीणों को गुमराह किया जा रहा है।
नेताओं के वक्तव्य: “मजदूर अधिकारों पर सीधा असर”
धरना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दीपक पांडे, जगदीश मेहर, संतोष राय, सलीम नियारिया, वासुदेव यादव, राकेश पांडे, रानी चौहान, हरेराम तिवारी, संजय देवांगन सहित अनेक वरिष्ठ नेताओं ने नए कानून की कड़ी आलोचना की। वक्ताओं ने कहा कि मनरेगा से गांधी का नाम हटाना और ‘जी राम जी’ के नाम पर योजना में बदलाव करना निंदनीय है, जिससे किसान, मजदूर और कमजोर वर्गों के हितों को नुकसान होगा।
मनरेगा का इतिहास और आपत्तियां
पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने बताया कि मनरेगा 5 सितंबर 2005 को कांग्रेस सरकार द्वारा अधिनियमित किया गया था, जिसके तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को प्रति वित्तीय वर्ष 100 दिन का रोजगार और सांविधिक न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित की गई थी। उनके अनुसार, नए कानून में काम के दिनों की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है, लेकिन रोजगार की गारंटी स्पष्ट नहीं है। साथ ही, केंद्र-राज्य हिस्सेदारी और भुगतान व्यवस्था को लेकर योजना के प्रभावित होने की आशंका है।
भुगतान व्यवस्था और राज्यों पर बोझ
शहर अध्यक्ष शाखा यादव ने कहा कि ‘जी राम जी’ योजना से राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा और मजदूरों को समय पर भुगतान मिलने में दिक्कतें आएंगी। बायोमीट्रिक और आधार आधारित भुगतान व्यवस्था से भी मजदूरों को व्यावहारिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कांग्रेस का संकल्प: “सड़क से संसद तक संघर्ष”
ग्रामीण अध्यक्ष नगेंद्र नेगी ने दो टूक कहा कि मनरेगा को लागू करने में कांग्रेस की मंशा गरीब मजदूरों और ग्रामीण किसानों को रोजगार की गारंटी देना थी। एक वर्ष की विस्तृत प्रक्रिया से बनी योजना को भाजपा सरकार ने एक दिन में नाम बदलकर पारित करवा दिया। कांग्रेस इस फैसले का सड़क से लेकर संसद तक विरोध करेगी, जब तक पूर्व मनरेगा कानून पुनः लागू नहीं किया जाता।
उपस्थिति
धरना कार्यक्रम में जगदीश मेहर, संतोष राय, अनिल शुक्ला, दीपक पांडे, वसु यादव, सलीम नियारिया, जानकी काटजू, हरेराम तिवारी, विकास ठेठवार, संजय देवांगन, राकेश पांडेय, यतीश गांधी, विकास शर्मा, रानी चौहान, रिंकी पांडेय, संपति सिदार, संदीप अग्रवाल, विनोद कपूर, आशीष चौबे, लोकेश साहू, आशीष जायसवाल, नारायण घोरे, मुकुंद पटनायक, रूपेंद्र शर्मा, लता खूंटे, रंजना पटेल, मंजु सिंह, अरुण चौहान, सत्यप्रकाश शर्मा, रवि पांडे सहित सैकड़ों कांग्रेसजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विकास शर्मा ने किया।
कांग्रेस ने ‘जी राम जी’ योजना को मनरेगा के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ बताते हुए इसे ग्रामीण रोजगार और मजदूर अधिकारों के लिए घातक करार दिया है और सरकार के निर्णय के विरुद्ध संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है।














