दिल्ली विधानसभा: केजरीवाल समेत 4 विधायकों ने फाड़ी कृषि कानून की प्रति, BJP ने पूछा दिल्ली में किसानों को किसान होने का दर्जा क्यों नहीं?
नई दिल्ली: गुरुवार को दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र हंगामे से भरा रहा. विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही आम आदमी पार्टी के विधायक कैलाश गहलौत ने में सदन में तीनो कृषि कानूनों को निरस्त करने का संकल्प पत्र पेश किया. जिस पर चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी विधायक महेंद्र गोयल, सोमनाथ भारती, गोपाल राय और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कृषि कानून की प्रतियां फाड़ कर प्रस्ताव का समर्थन किया. विधानसभा में इस प्रस्ताव को पास कर दिया गया. हालांकि चर्चा के दौरान जमकर हंगामा भी हुआ.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सदन में चर्चा के दौरान बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि सब कह रहे हैं कि किसानों को भ्रमित किया जा रहा है. दरअसल किसानो को नहीं भाजपाइयों को भ्रमित किया जा रहा है. सारे भाजपाइयों को अफीम खिला दी गई है. किसी से भी पूछो तो बस एक लाइन रटा रखी है कि किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकते हैं.
20 से ज़्यादा किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं- केजरीवाल
किसान आंदलोन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई उनका ज़िक्र करते हुए केजरीवाल ने कहा कि अभी तक 20 से ज़्यादा किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं. मैं केंद्र सरकार से पूछना चाहता हूं कि और कितनी जान आप लोगे, उसके बाद देश के किसानों की बात सुनोगे 1907 में हूबहू ऐसा ही आंदोलन हुआ था, उसका नाम था पगड़ी सम्भाल जट्टा. 9 महीने तक ये आंदोलन अंग्रेज़ों की खिलाफ चला था. उस आंदोलन की लीडरशिप शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा ने की थी. उस वक्त भी अंग्रेज़ सरकार ने कहा था इसमें थोड़े बदलाव कर देंगे. लेकिन किसान डटे रहे और अंग्रेज़ सरकार को कानून वापस लेना पड़ा था. मैं पूछना चाहता हूं कि भगत सिंह ने क्या इसीलिए कुर्बानी दी थी कि आज़ाद भारत मे किसानों को इस तरह आंदोलन करना पड़े.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा. केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार का कहना है कि किसान को कानून समझ नहीं आ रहा. आज योगी आदित्यनाथ यूपी में बड़ी रैली कर रहे थे, मैं सुन रहा था. वो किसानों को कृषि कानून के फायदे समझा रहे थे, कह रहे थे तुम्हारी ज़मीन नहीं जाएगी, मंडी बन्द नहीं होगी. मैं पूछना चाहता हूं, ये फायदा है क्या? एक फायदा नहीं पता था योगी आदित्यनाथ को. आज धान का एमएसपी 1,868 रुपए है. यूपी और बिहार में ये 900-1000 रुपए का बिक रहा है. यूपी का किसान कहां जाकर बेच आये कि इससे ज़्यादा मिल जाये. किसान कहीं भी नहीं कौन बेचेगा ये सबको पता है.
हम किसानो की वकालत नहीं करेंगे तो क्या दलालों की करेंगे- केजरीवाल
कृषि कानून की प्रति फाड़ते हुए केजरीवाल ने कहा कि अगर हम किसानो की वकालत नहीं करेंगे तो किसकी करेंगे दलालों की. ये कानून किसानो के लिए नहीं बीजेपी की फंडिंग कराने के लिए बनाए गए हैं. इन तीनो कानूनों को फाड़ते हुए दर्द हो रहा है. लेकिन देश का किसान ठंड में सड़कों पर है तो मैं उनकी पीड़ा के साथ खड़ा हूँ.
एक ओर जहां केजरीवाल ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा तो वहीं बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने दिल्ली में किसानों की स्तिथि को लेकर केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा किया. मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि ये सरकार कृषि बिलो के नाम पर झूठा ढोंग रच रही है. इस सरकार को शर्म आनी चाहिए, ये राजनीतिक फायदा उठाने के लिये किसानों का इस्तेमाल कर रही है. जब केंद्र सरकार द्वारा कृषि बिल को लेकर स्टेट में चर्चा की गई तब इन्होंने विरोध क्यों नहीं किया. आज इन्हें पंजाब और यूपी में चुनाव दिख रहा है. दिल्ली में आज तक किसानों को किसानों का दर्जा नहीं दिया गया. किसानों को एक भी बिजली का कनेक्शन आज तक नहीं दिया गया. किसान किन परिस्तिथियों में या किसके बहकावे में आ रहे हैं ये आने वाला समय बतायेगा.
अगर काले कानून हैं तो दिल्ली सरकार ने इसे नोटिफाई क्यों किया?- बीजेपी
विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने सरकार से सवाल पूछा कि मैं जानना चाहता हूं कि दिल्ली सरकार ने 23 नवम्बर 2020 को तीनों कानूनों के से एक कानून को नोटिफाई किया और बाकी 2 के लिए कहा कि इस पर विचार करेंगे. अगर काले कानून हैं तो दिल्ली सरकार ने इसे नोटिफाई क्यों किया? हम इस पर मुख्यमंत्री से जवाब चाहेंगे. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वक्तव्य के बाद सदन में आम आदमी पार्टी के विधायकों ने जमकर हंगामा किया. सभी विधायक कृषि कानून की प्रति लेकर वेल में आ गये. जिसके बाद विधानसभा स्पीकर राम निवास गोयल ने विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करते हुए शुक्रवार सुबह 11 बजे फिर सत्र बुलाने की घोषणा की.