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छत्तीसगढ़ में शिक्षकों पर दोहरी जिम्मेदारी: स्कूलों में मतदान केंद्र बनने से बोर्ड परीक्षाएं प्रभावित, कांग्रेस ने किया विरोध, साव ने बताया जरूरी

छत्तीसगढ़ में चुनाव और परीक्षाओं की दोहरी चुनौती: शिक्षकों पर बढ़ा दबाव, कांग्रेस ने किया विरोध, सरकार ने बताई अनिवार्यता

फरवरी का महीना छत्तीसगढ़ के छात्रों और शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती लेकर आ रहा है। एक ओर नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों की प्रक्रिया चल रही है, तो दूसरी ओर 14 फरवरी से CBSE और ICSE बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। इसके बाद 1 मार्च से राज्य बोर्ड परीक्षाएं भी शुरू होंगी। ऐसे में चुनावी ड्यूटी और स्कूलों के मतदान केंद्र बनने से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

फरवरी में चुनावी सरगर्मी, बोर्ड परीक्षाओं पर असर
राज्य में 11 फरवरी को नगरीय निकाय चुनाव होंगे, जिनके नतीजे 15 फरवरी को आएंगे। इसके अलावा, पंचायत चुनाव तीन चरणों—17, 20 और 23 फरवरी को आयोजित किए जाएंगे, जिनके नतीजे क्रमशः 18, 21 और 24 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। इस चुनावी प्रक्रिया के बीच 1 मार्च से छत्तीसगढ़ बोर्ड की 12वीं और 3 मार्च से 10वीं की परीक्षाएं होंगी, जिनमें 5 लाख 70 हजार से अधिक छात्र शामिल होंगे। परीक्षा संचालन के लिए 2500 केंद्र बनाए जा रहे हैं।

टीचर्स की जिम्मेदारी और छात्रों की चिंता
चुनाव प्रक्रिया में सरकारी शिक्षकों की अहम भूमिका होती है। प्रशिक्षण, मतदान और मतगणना जैसे कार्यों में उनकी ड्यूटी लगाई जाती है, जिससे स्कूलों में पढ़ाई का माहौल बाधित होता है। बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को न तो पर्याप्त मार्गदर्शन मिल पाता है और न ही अध्ययन के लिए शांत वातावरण। अधिकांश स्कूलों को मतदान केंद्र बना दिए जाने से कक्षाएं प्रभावित होती हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

कांग्रेस ने किया विरोध, सरकार ने बताया चुनाव अनिवार्य
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि सरकार की लापरवाही के कारण चुनाव और परीक्षाएं टकरा रही हैं, जिससे छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा। वहीं, मुख्यमंत्री अरुण साव का कहना है कि दोनों ही महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं हैं और समय पर चुनाव कराना आवश्यक है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि परीक्षाओं पर इसका न्यूनतम प्रभाव पड़े।

शिक्षा और चुनाव—सरकार के लिए परीक्षा
चुनावी और शैक्षणिक गतिविधियों के बीच संतुलन बनाना राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग के लिए बड़ी चुनौती है। शिक्षक, छात्र और अभिभावक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी से छूट दी जाएगी और क्या वैकल्पिक मतदान केंद्र बनाए जा सकते हैं। इस स्थिति में सरकार की रणनीति पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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