कर्मचारियों को मिली बड़ी जीत, तीन महीने के भीतर होंगे नियमित, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

नई दिल्ली : अपने नियमितीकरण के लिए संविदा कर्मचारी सड़क से लेकर अदालतों तक में लड़ाई लड़ते हैं। कभी फैसलों से आस जागती है तो कभी-कभी संविदा कर्मचारियों को निराशा हाथ लगती है। लंबी लड़ाई के बाद अब एक बार फिर छत्तीसगढ़ के संविदा शिक्षकों को बड़ी जीत मिली है।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) खारिज कर दी है और प्रदेश के इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों में कार्यरत संविदा शिक्षकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा वर्ष 2018 में दिए गए फैसले को जारी रखा है। शीर्ष अदालत ने 3 माह के भीतर सभी को नियमित करने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल, हाईकोर्ट के फैसले को पिछली कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर कहा था कि संविदा पर कार्यरत इन शिक्षकों को नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है। दिसंबर 2018 में हुए इस फैसले के खिलाफ 2019 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के तर्क को खारिज कर दिया कि शिक्षकों को नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत मिश्र और जस्टिस केवी विश्वनाथन का कोरम इस मामले में निर्धारित था। शीर्ष कोर्ट ने सिर्फ अदालती लड़ाई लड़ने वाले करीब 75 संविदा शिक्षकों को नियमित करने के आदेश दिए हैं। साथ ही यह स्पष्ट किया गया है कि कानूनी लड़ाई लड़ने वाले उक्त संविदा शिक्षक नियमितीकरण के पात्र होंगे। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रदेश के संविदा शिक्षकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश जारी होने के दिन से आगामी तीन माह के भीतर ही हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश का पालन करने के स्पष्ट निर्देश देते हुए राज्य शासन की याचिका खारिज कर दी है। मामले में छत्तीसगढ़ शासन का पक्ष एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल भारत व अन्य ने रखा , जबकि संविदा शिक्षकों की ओर से सीनियर एवोकेट अनूप चौधरी, एडवोकेट दीपाली पाण्डेय व अन्य अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित हुए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button