छत्तीसगढ़ का शिमला मैनपाट कड़ाके की ठंड के साथ टाऊ की खेती के लिए भी मशहूर है। यहां हर साल सैकड़ों हेक्टेयर में इसकी खेती होती है। इसकी फसल में जब सफेद और गुलाबी रंग में फूल लगने शुरू होते हैं तो यहां की वादियों की सुंदरता देखते ही बनती है।पाट फूलों से दमक उठता है और पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।
इस साल तो यहां किसानों ने 2495 हेक्टेयर क्षेत्र में टाऊ की खेती की है। मौसम के साथ देने से पैदावार अच्छी होने की संभावना है। दिसंबर में फसल कटनी शुरू हो जाएगी पर किसान एक बार फिर 40 से 60 रुपए प्रति किलो ही पैदावार बेचने को मजबूर होंगे, क्योंकि यहां प्रोसेसिंग प्लांट ही नहीं है। इससे बाहरी व्यापारियों को ये बिचौलियों के माध्यम से बेचने मजबूर रहते हैं। इससे पैदावार की कीमत कम मिलती है।
हर साल 20 से 25 एकड़ क्षेत्र में टाऊ की खेती करने वाले श्रीराम यादव बताते हैं कि यदि प्रोसेसिंग प्लांट यहां लग जाए तो आय दोगुनी हो जाएगी।टाऊ से तैयार खाद्य सामग्री काफी पौष्टिक होती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। टाऊ की प्रोसेसिंग कर इसका आटा बनाते हैं। फिर इससे बिस्कुट और अन्य खाद्य सामग्री बनती है। बड़े शहरों में इसके प्लांट हैं। इसका आटा दो सौ रुपए प्रतिकिलो ग्राम तक बिकता है, जबकि किसानों से उसकी पैदावार 40 से 60 रुपए प्रतिकिलो ही खरीदी जाती है।