रायगढ़, 18 दिसंबर 2024:
पुसौर क्षेत्र के किसानों ने पूर्व विधायक प्रकाश नायक पर दर्ज एफआईआर के विरोध में नाराजगी जताई है। किसानों ने आरोप लगाया है कि छिछोर उमरिया धान खरीदी केंद्र में धान की तौल में गड़बड़ी के मुद्दे को उठाने के बाद प्रशासन ने पूर्व विधायक पर झूठा मामला दर्ज कर दिया। इस घटना के बाद स्थानीय किसानों में भारी आक्रोश है, और उन्होंने प्रशासन पर निष्पक्षता के साथ काम न करने का आरोप लगाया है।
क्या है मामला?
किसानों के अनुसार, पुसौर क्षेत्र के छिछोर उमरिया धान खरीदी केंद्र में धान की तौल में अनियमितताएं लंबे समय से हो रही थीं। धान खरीदी केंद्र पर तौल के दौरान किसानों को तय मानक से अधिक धान देने के लिए मजबूर किया जा रहा था। किसानों ने इस समस्या को हल करने के लिए पूर्व विधायक प्रकाश नायक को बुलाया।
पूर्व विधायक का निरीक्षण और विवाद:
प्रकाश नायक ने धान खरीदी केंद्र पर पहुंचकर निरीक्षण किया और पाया कि तय मानक से अधिक धान तौला जा रहा था। उन्होंने इसका विरोध किया और इस गड़बड़ी के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की।
किसानों के मुताबिक, प्रभारी द्वारा उल्टा पूर्व विधायक से बहस की गई। इसके बावजूद प्रशासन ने पूर्व विधायक पर प्रभारी के साथ मारपीट और उपद्रव करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कर दी।
किसानों का पक्ष:
- किसानों ने स्पष्ट किया कि घटना के समय एक दर्जन से अधिक किसान मौके पर मौजूद थे।
- उनके अनुसार, पूर्व विधायक ने न तो मारपीट की और न ही कोई अनुचित व्यवहार किया।
- किसानों ने यह भी कहा कि यह कार्रवाई किसानों की आवाज दबाने का प्रयास है।
किसानों की नाराजगी:
किसानों ने पुसौर में एकत्रित होकर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया और एफआईआर को झूठा बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की। उन्होंने प्रशासन पर यह आरोप लगाया कि उनकी शिकायतों को गंभीरता से न लेते हुए राजनीतिक दबाव में कार्रवाई की गई।
तनावपूर्ण स्थिति:
यह मामला पुसौर क्षेत्र में किसानों और प्रशासन के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है। किसानों का आरोप है कि प्रशासन तौल की गड़बड़ी को अनदेखा कर रहा है और उनकी समस्याओं का समाधान करने के बजाय उन्हें प्रताड़ित कर रहा है।
निष्कर्ष:
किसानों ने प्रशासन से एफआईआर की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि धान तौल की गड़बड़ी के मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, जबकि पूर्व विधायक पर लगाए गए झूठे आरोपों को तुरंत खारिज किया जाना चाहिए।
इस घटना ने क्षेत्र में किसान आंदोलनों को और भड़काने की संभावना पैदा कर दी है। प्रशासन को इस मामले में पारदर्शी तरीके से कार्रवाई कर किसानों का विश्वास बहाल करने की जरूरत है।