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नाबालिग से दुष्कर्म और परिवार की हत्या के मामले में पांच दोषियों को मिली मौत की सजा

कोरबा । छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की एक अदालत ने पहाड़ी कोरवा जनजाति की 16 वर्षीय एक बालिका से सामूहिक बलात्कार करने और उसके समेत परिवार के तीन सदस्यों की हत्या कर देने के जुर्म में पांच लोगों को फांसी की और एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

विशेष लोक अभियोजक सुनील कुमार मिश्रा ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश डॉक्टर ममता भोजवानी की अदालत ने 16 वर्षीय बालिका से दुष्कर्म और उसकी हत्या तथा लगभग चार वर्षीय एक बच्ची और लगभग 60 वर्षीय एक व्यक्ति की हत्या के जुर्म में संतराम मंझवार (45), अनिल कुमार सारथी (20), आनंदराम पनिका (26), परदेशी राम (35) तथा अब्दुल जब्बार (21) को फांसी की सजा सुनाई है।

अदालत ने इस मामले के अन्य अभियुक्त उमाशंकर यादव (22) को आजीवन कारावास की सुनाई है।

विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए कहा है कि अभियुक्तों द्वारा अमानवीय एवं निर्दयता पूर्वक किया गया यह कृत्य अत्यधिक विकृत, वीभत्स, पाशविक एवं कायरतापूर्ण है।

मिश्रा ने बताया कि 29 जनवरी 2021 को जिले में लेमरू थाना क्षेत्र के गढ़—उपरोडा गांव में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह कोरवा के एक परिवार के तीन सदस्यों की हत्या का मामला सामने आया था।

उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि आरोपियों ने परिवार की 16 वर्षीय एक बालिका, उसके पिता और लगभग चार वर्षीय भतीजी को जंगल में ले जाकर पत्थरों से कुचलकर मार डाला था तथा इससे पहले उन्होंने 16 वर्षीय बालिका के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था।

मिश्रा ने बताया कि पुलिस की जांच में यह भी खुलासा हुआ था कि मुख्य आरोपी संतराम मंझवार ने 16 वर्षीय बालिका को अपनी दूसरी पत्नी बनाने के लिए दबाव डाल रहा था। संतराम ने पीड़ित परिवार को अपने यहां काम पर रखा था।

विशेष लोक अभियोजक के मुताबिक जब बालिका के परिवार ने मंझवार के प्रस्ताव का विरोध किया तब संतराम ने अपने पांच साथियों के साथ मिलकर तीन लोगों की हत्या कर दी तथा ऐसा करने से पहले उन्होंने 16 वर्षीय बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार किया था।

मिश्रा ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने 24 घंटे के भीतर सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था और यह मामला अदालत में पेश किया था।

उन्होंने बताया कि अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अभियुक्तों द्वारा अमानवीय एवं निर्दयता पूर्वक किया गया यह कृत्य अत्यधिक विकृत, वीभत्स, पाशविक एवं कायरतापूर्ण है, क्योंकि उन्होंने अपनी वासना को पूरा करने के लिए तीन निर्दोष और कमजोर व्यक्तियों की हत्या की है। अदालत ने कहा कि इससे संपूर्ण समाज की सामूहिक चेतना को आघात पहुंचा है।

अदालत ने कहा है कि अभियुक्तों द्वारा एक ही आदिवासी परिवार के तीन सदस्यों की हत्या की गई तथा 16 साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया तथा जिनकी हत्या की गयी उनमें 16 वर्ष की एक बच्ची, साढ़े तीन साल की एक बच्ची और लगभग 60 वर्षीय एक वृद्ध पुरुष शामिल है, इसलिए आजीवन कारावास के सामान्य नियम की अपेक्षाकृत मृत्युदंड के अपवाद का चयन करने के अतिरिक्त इस न्यायालय के पास और कोई विकल्प नहीं बचा है।

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