*कार्मेल स्कूल प्रबन्धन की मन मानियाँ चरम पर…* *प्रशासन का आदेश कचरे की टोकरी में,स्कूल प्रबन्धन वपास अपने ढर्रे पर…* *कार्मेल स्कूल गेट से लगे स्टॉप बोर्ड का क्यों नही करते स्कूल वाले उपयोग..*

*बच्चों की सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था दोनों कार्मेल स्कूल प्रबंधन के लिए मायने नही रखते.. सख्त निर्देश के बाद भी नही खोला पिछला रास्ता…*

रायगढ़। पिछले दो दशकों से लगातार अपनी तानाशाही और निरंकुश व्यवहार के लिए हमेशा चर्चा में रहने वाले कार्मेल कान्वेंट स्कूल लक्ष्मीपुर का प्रबंधन सही मायनों में सुधरने को तैयार नही है।


हाल ही में घटी एक घटना ने कार्मेल स्कूल प्रबंधन की ढिठाई का जीता जागता नमूना पेश किया था। जिसमें स्कूल की एक शिक्षिका ने 3 साल के मासूम को इस तरह से थप्पड़ मारा था कि उसके गाल पर पूरे दिन निशान उभरे रहे थे। घटना के बाद मासूम छात्र बुरी तरह से डर गया था। उसके पालक जब घटना की शिकायत लेकर स्कूल प्रबंधन के पास पहुंचे तो प्रबन्धन ने दोषी शिक्षिका के विरुद्ध कार्यवाही न करके उल्टे बच्चे का माता-पिता को बेइज्जत कर स्कूल से बाहर निकाल दिया था। स्कूल प्रबंधन की बदमिजाजी से परेशान पालक ने सोशल मीडिया में पूरे घटना क्रम को डाल दिया था। जिससे बात शहर के आम लोगों से लेकर राजनीतिज्ञों तक पहुंच गई। देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ लिया। शहर के लोगो की नाराजगी कार्मेल स्कूल प्रबंधन के खिलाफ जाहिर होने लगीं जिससे जिला शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के हांथ पांव फूल गए

आनन फानन में निगम आयुक्त के नेतृत्व में जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग की एक संयुक्त टीम घटना की जांच व करवाही करने कार्मेल स्कूल पहुंच गई।

स्कूल प्रबन्धन की हालात देखने के बाद जिला प्रशासन से रहा नही गया। उन्होंने पाया कि स्कूल से छूटने के बाद सामने गेट खोलकर बच्चों को बिना सुरक्षा के स्कूल प्रबन्धन गेट से बाहर निकाले जा रहा था। जिससे आकस्मिक दुर्घटना की संभावना के साथ ट्रैफिक समस्या भी उत्पन्न हो रही थी। यहां जांच में आये अधिकारियों ने सख्त निर्देष देते हुये,कहा था कि आज से कार्मेल स्कूल प्रबन्धन स्कूल भवम का पिछला गेट खोलकर ही बच्चों को क्रम से बाहर निकलवाए। साथ ही स्कूल बाउंड्री के पास सड़क के किनारे रखे गए स्टॉपर बोर्ड का आवश्यक रूप से प्रयोग करे। ताकि बच्चों को सम्भावित दुर्घटनाओं से बचाया जा सके। इस तरह प्रशासन के निर्देश के बावजूद स्कूल प्रबंधन न तो बच्चों को पीछे गेट से निकालना शुरू किया न ही स्टॉपर बोर्ड का उपयोग करते दिखा। इस विषय मे जब स्कूल कर्मी से पूछा गया तो उसने कहा स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को सामने गेट से ही बाहर निकालने को कहा है और स्टॉपर बोर्ड लगाने का काम ट्रैफिक पुलिस का है,मेरा नही। आप उनसे जाकर पूछिए छुट्टी के समय ट्रैफिक पुलिस यहां क्यों नही रहती है?



प्रबन्धन के इस तरह के रूखे और गैर जिम्मेदराना व्यवहार के बाद यह तो तय हो गया कि वो सुधरने से रहे और उनके लिए प्रशासन का आदेश कोई मायने नही रखता है। मामले को लेकर यातायात प्रभारी से बात की कार्मेल स्कूल से छुट्टी के बाद भारी ट्रैफिक के बीच असुरक्षित स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए,उनसे स्थाई समाधान के विषय मे बात की। उंन्होने बताया कि वे जल्दी ही इस विषय मे उचित कार्यवाही कर उन्हें सूचित करेंगे। स्कूल प्रबंधन को प्रशासन की बात माननी ही पड़ेगी।

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