
इंदौर। होलकर कालीन ऐतिहासिक गोपाल मंदिर, जिसे करोड़ों रुपये खर्च कर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत संवारा गया था, रविवार को विवाह समारोह स्थल में तब्दील कर दिया गया। धार्मिक आस्था के इस केंद्र में न केवल शादी संपन्न हुई, बल्कि मेहमानों के लिए शाही भोज की भी व्यवस्था की गई।
प्रशासन के धर्मस्व विभाग के अधिकारियों ने नियमों को दरकिनार कर इस आयोजन की अनुमति दी, जिससे शहरभर में आक्रोश फैल गया। विवाद बढ़ने के बाद जिम्मेदार अधिकारी सक्रिय हुए और मामले की जांच के आदेश दिए गए।
आस्था केंद्र को बना दिया शादी समारोह स्थल
राजवाड़ा स्थित प्राचीन गोपाल मंदिर में रविवार को हुए विवाह समारोह ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया। धार्मिक आस्था के इस प्रमुख केंद्र को मात्र एक लाख रुपये में किराए पर देकर विवाह समारोह आयोजित किया गया।
विवाह आयोजन के दौरान गर्भगृह के सामने हवन कुंड और मंडप बनाया गया, मंदिर के गलियारे में सोफे लगाए गए और मेहमानों के लिए भोजन पकाने एवं परोसने की विशेष व्यवस्था की गई। इससे मंदिर का पूरा परिसर एक मैरिज गार्डन में तब्दील हो गया।
बेरिकेडिंग के कारण भक्तों को हुई परेशानी
शादी में शामिल मेहमानों के लिए मंदिर के बाहर बेरिकेडिंग की गई, जिससे श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने में कठिनाई हुई। गर्भगृह के सामने फेरे होने से भक्तों को दर्शन करने में परेशानी हुई, वहीं टेंट और भोजन पकाने की वजह से मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार का रास्ता भी अवरुद्ध हो गया।
विवाह आयोजन की बुकिंग मात्र 25,551 रुपये में 29 जुलाई को की गई थी, लेकिन इसके बाद जमा हुई शेष राशि की कोई रसीद सार्वजनिक नहीं की गई।
मंदिर की पवित्रता भंग, प्रशासन मौन
1832 में यशवंतराव होलकर प्रथम की पत्नी कृष्णाबाई द्वारा निर्मित यह मंदिर धार्मिक आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। प्रशासन की जिम्मेदारी इसे संरक्षित रखने की थी, लेकिन मंदिर प्रबंधन ने इसे विवाह स्थल के रूप में उपयोग करने की अनुमति दे दी।
मंदिर के मैनेजर के.एल. कौशल ने बताया कि माफी अधिकारी के निर्देश पर एक लाख रुपये में विवाह के लिए मंदिर परिसर किराए पर दिया गया। उन्होंने अधिकारियों के आदेश का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
मामले की जांच के आदेश
इस विवादित आयोजन की जांच संभागायुक्त के निर्देश पर अपर कलेक्टर ज्योति शर्मा को सौंपी गई है। कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि जांच के बाद रिपोर्ट संभागायुक्त को सौंपी जाएगी।
एसडीएम एवं माफी अधिकारी विनोद राठौर ने कहा कि आयोजन की विधिवत अनुमति दी गई थी और इसके लिए मंदिर प्रबंधन समिति को शुल्क भी जमा कराया गया। यदि आयोजन में शर्तों का उल्लंघन पाया जाता है, तो संबंधित व्यक्तियों को नोटिस जारी कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
आयोजकों ने दी सफाई
विवाह आयोजक राजकुमार अग्रवाल ने कहा कि भगवान बांके बिहारी के समक्ष विवाह की अनुमति लेकर ही आयोजन किया गया था। मंदिर को फूलों से सजाकर रविवार के दिन विवाह तय किया गया था, ताकि किसी को असुविधा न हो। फिर भी यदि किसी को परेशानी हुई है, तो इसके लिए खेद प्रकट करते हैं।
तीन साल पहले 20 करोड़ में हुआ था जीर्णोद्धार
गोपाल मंदिर का निर्माण मराठा और राजपूत शैली में किया गया है। इस ऐतिहासिक धरोहर को तीन वर्ष पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 20 करोड़ रुपये खर्च कर संरक्षित किया गया था। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा इसे पार्टी वेन्यू में तब्दील करने की अनुमति देना गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
अब देखना यह होगा कि इस लापरवाही पर प्रशासन क्या ठोस कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में चला जाएगा।