
होलिका दहन: लकड़ी नहीं, गाय के उपलों से करें अग्नि प्रज्वलन, जानें धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
ग्वालियर। होलिका दहन की परंपरा समय के साथ बदलती गई, और अब ज्यादातर स्थानों पर लकड़ियों का उपयोग किया जाने लगा है। हालांकि, ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन के लिए गाय के गोबर से बने उपलों (कंडों) का ही उपयोग करना चाहिए। इससे न केवल धार्मिक लाभ मिलता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है।
शास्त्रों के अनुसार उपलों से होलिका दहन क्यों आवश्यक?
ग्वालियर के प्रमुख ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हवन और पूजन कार्यों में गाय के गोबर से बने उपलों का उपयोग करना ही उचित होता है। इससे वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. दीपक गोस्वामी के अनुसार, गाय का गोबर पंचद्रव्य का हिस्सा है, जिसे सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। सदियों से होलिका दहन में गोबर से बनी गुलरी और उपलों का उपयोग किया जाता रहा है। पहले परिवार की महिलाएं सात दिन पहले से ही गोबर इकट्ठा कर गुलरी तैयार करती थीं, जिससे होली के दिन शुद्ध अग्नि प्रज्वलित की जा सके।
गाय के उपलों से दहन करने के वैज्ञानिक लाभ
✅ वातावरण शुद्ध होता है – उपलों को जलाने से ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट होते हैं।
✅ धार्मिक दृष्टि से शुभ – मान्यता है कि उपलों से दहन करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
✅ रोग और दोषों से मुक्ति – होलिका दहन में उपलों का उपयोग करने से अकाल मृत्यु और बीमारियों से जुड़े दोषों का नाश होता है।
✅ पर्यावरण संरक्षण – लकड़ियों की कटाई से बचाव होता है और प्रकृति संतुलित रहती है।
होलिका दहन का सही तरीका
- होलिका दहन के लिए गाय के गोबर से बने उपलों और गुलरी का ही उपयोग करें।
- लकड़ियों के बजाय उपलों को जलाकर वातावरण को शुद्ध रखें।
- होली की राख को घर के मुख्य द्वार और बीमार व्यक्ति के सोने वाले स्थान पर छिड़कने से लाभ मिलता है।
ज्योतिषाचार्य पं. संजय वैदिक ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया था। इसी तरह, हमें भी प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करते हुए होलिका दहन को शुद्ध विधि से करना चाहिए। इससे आध्यात्मिक लाभ के साथ-साथ प्राकृतिक संतुलन भी बना रहेगा।
👉 इस बार होलिका दहन में लकड़ियों की जगह गाय के उपलों का उपयोग करें और धर्म, विज्ञान तथा पर्यावरण को एक साथ संरक्षित करें!