छत्तीसगढ़न्यूज़

रेलवे व एसईसीएल पर निकला कोरबा सांसद का भड़ास

मानवीय पक्ष को ध्यान में रख सरपंच-सचिवों पर हो रिकव्हरी

कोरबा । लोकसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी बार निर्वाचित सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत कोरबा जिले के दौरे पर पहुंची हैं। इस दौरान मीडिया के द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कोरबा जिले में सरपंच व सचिवों से रिकव्हरी की शिकायत पर सांसद ने कहा कि तानाखार विधानसभा क्षेत्रांतर्गत पाली विकासखण्ड के ग्राम पंचायत लिटियाखार की महिला सरपंच और उसके पति का निधन हो चुका है। वहीं उसके विकलांग पुत्र प्रताप सिंह से बलपूर्वक रिकव्हरी कराई जा रही है।

इस पर सांसद ने कहा कि मानवीय पक्ष को ध्यान में रखकर व नियमों को ताक में रखकर किसी भी प्रकार की कार्यवाही न की जाए, साथ ही पंचायतों से रिकव्हरी के मामले में केवल जनप्रतिनिधियों को पार्टी न बना कर इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई किया जाए। सांसद ने जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश के दिनों में बिजली का नहीं होना ग्रामीणों में परेशानी का सबब बना हुआ है।

शहरी व उप नगरीय क्षेत्रों में सडक़ों को सुधारे जाने और आवागमन के लायक बनाए जाने की जरूरत पर बल देते हुए सांसद ने कहा कि हालात तो यह हो गए हैं कि एक ही बारिश में सडक़ें  उखड़ रही हैं और इसमें चलने वाले लोगों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सांसद ने कहा कि बीते दिनों डीआरएम बिलासपुर में रेलवे सलाहकार समिति की बैठक में उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को लेकर डीआरएम ने आश्वस्त किया है कि कोरबा के यात्री सुविधाओं को लेकर वे पूरी तरह सजग हैं। इस पर सांसद ने कहा कि रेलवे से यात्री सुविधाओं के नाम पर अपेक्षा करना उचित नहीं है।

रेलवे केवल लदान पर ध्यान केंद्रित किए हुए है, उन्हें यात्री सुविधाओं से कोई सरोकार नहीं है। सांसद ने एसईसीएल प्रबंधन पर अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि एसईसीएल उत्खनन और रिकार्ड बनाने पर जुटा हुआ है, इन्हें न तो भू-विस्थापितों और न ही अपने कर्मचारियों के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्र का सुध लेने की फुर्सत है। क्षेत्र के लोग कोयला और डस्ट से जहां परेशान हैं वहीं सीएसआर मद के नाम पर किसी प्रकार का विकास कार्य कराने के बजाय दीगर कार्यों में जुटा हुआ है। सांसद ने एसईसीएल के द्वारा बनाए गए अस्पतालों में सुविधा बढ़ाने और उसमें ठेका श्रमिकों के साथ-साथ भू-विस्थापितों और प्रभावितजनों के समुचित इलाज की व्यवस्था कराने को कहा।

 

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