
मकर संक्रांति 2025: सूर्य उपासना का महापर्व, जानें पुण्यकाल, पूजा विधि और स्नान का महत्व
मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे उत्तरायण पर्व के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं, जिससे दिन बड़े होने लगते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इसे खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन दाल-चावल से बनी खिचड़ी खाने और दान करने की परंपरा है।
मकर संक्रांति 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
📅 तिथि: मंगलवार, 14 जनवरी 2025
☀️ सूर्य का मकर राशि में प्रवेश: सुबह 09:03 बजे
⏳ पुण्यकाल मुहूर्त: सुबह 08:40 से दोपहर 12:30 तक
🌟 महापुण्यकाल मुहूर्त: सुबह 08:40 से 09:04 तक
🛁 स्नान व दान का शुभ मुहूर्त: सुबह 09:03 से 10:48 तक
मकर संक्रांति का महत्व और पूजा विधि
- इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा और शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्यदेव को अर्घ्य देने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
- तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल और अन्न का दान करने से विशेष फल मिलता है।
- इस दिन सूर्यदेव की पूजा कर उनके मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है।
प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में स्नान का महत्व
मकर संक्रांति के अवसर पर तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने से साठ हजार तीर्थों और साठ करोड़ नदियों का पुण्य प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस समय सभी देवी-देवता, यक्ष, गंधर्व, नाग और किन्नर भी इस पवित्र संगम में उपस्थित रहते हैं। इसी कारण इसे तीर्थों का कुंभ भी कहा जाता है।
आस्था और परंपरा का महापर्व
मकर संक्रांति पूरे भारत में विभिन्न नामों से मनाई जाती है:
- उत्तर भारत में मकर संक्रांति
- पंजाब-हरियाणा में लोहड़ी
- गुजरात-राजस्थान में उत्तरायण
- महाराष्ट्र में मकर संक्रांत
- दक्षिण भारत में पोंगल
इस दिन स्नान, दान और जप-तप से जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है। मकर संक्रांति 2025 का यह पर्व आस्था, श्रद्धा और दान-पुण्य का अद्भुत संगम प्रस्तुत कर रहा है।