किराया बढ़ाने से पहले अब जरूरी होगी ठोस वजह और अनुमति: ‘रेंट प्रोटेक्शन एक्ट 2025’ लागू

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच के विवादों को कम करने के लिए ‘रेंट प्रोटेक्शन एक्ट 2025’ लागू कर दिया है। इस कानून के तहत अब मकान मालिक बिना उचित कारण और आधिकारिक अनुमति के किराया नहीं बढ़ा सकेंगे। अधिनियम का उद्देश्य रेंटल बाजार में पारदर्शिता, निष्पक्षता और संतुलन को बढ़ावा देना है।

क्या है रेंट प्रोटेक्शन एक्ट 2025?

यह कानून मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच स्पष्ट समझौता सुनिश्चित करता है। इसके तहत किराये की राशि, जमा राशि, नियम, शर्तें और समझौते की अवधि का स्पष्ट उल्लेख आवश्यक होगा।

मुख्य प्रावधान:

अनुचित किराया वृद्धि पर रोक: किराया बढ़ाने से पहले कारण बताना और स्थानीय किराया प्राधिकरण से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा।

बेदखली पर नियंत्रण: बिना नोटिस या वैध कारण के किरायेदार को निकाला नहीं जा सकेगा।

लिखित समझौते अनिवार्य: सभी किरायेदारी अनुबंध अब लिखित रूप में करने होंगे।


विवादों का समाधान:

यदि कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो पहले मध्यस्थता के ज़रिए समाधान की कोशिश होगी। असफल होने पर मामला विशेष रेंट अदालतों में जाएगा, जहाँ निश्चित समय सीमा में निर्णय दिया जाएगा।

किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए अनुशंसाएं:

किरायेदारों को चाहिए: किराये की रसीदें संभालें, लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करें और समय पर भुगतान करें।

मकान मालिकों को चाहिए: स्पष्ट अनुबंध बनाएं, नियमों का पालन करें और किराया बढ़ाने से पहले आधिकारिक अनुमति प्राप्त करें।


विशेषज्ञों की राय:

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह अधिनियम रियल एस्टेट क्षेत्र में भरोसा बढ़ाएगा और दोनों पक्षों के बीच स्थिर संबंध बनाने में सहायक होगा।

समाज और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:

इस अधिनियम से न केवल किरायेदारों की सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि मकान मालिकों को भी स्पष्ट कानूनी मार्गदर्शन मिलेगा। साथ ही, बाजार में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बल मिलेगा।

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