CG News: खादी के कपड़ों से होगी मरीजों की मरहम-पट्टी, हर्बल डाई का होगा उपयोग, स्वरोजगार को मिलेगा बढ़ावा

खादी के उत्पादन में आज भी मशीनों का उपयोग नहीं हो रहा है। कताई-बुनाई हरकरघा और बुनकर के जरिए हो रही है।

खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड और स्वास्थ्य विभाग के बीच हुए एक अनुबंध के बाद अब सरकारी अस्पतालों में शीघ्र ही खादी से बने कपड़ों से मरीजों की मरहम-पट्टी की जाएगी। मरहम-पट्टी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला कपड़ा गाज बैंडेज अब खादी का होगा। इसका मकसद खादी के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा देना है। साथ ही मरीजों के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना है। केमिकल से रंगे सामान्य कपड़ों के मुकाबले खादी से बने कपड़ों में रासायनिक दुष्प्रभाव कम होगा। खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारियों के मुताबिक आने वाले दिनों में अस्पतालों में सभी प्रकार के कपड़ों का इस्तेमाल खादी का हो सकता है, जिसमें चादर, तकिया और सरकारी विभागों के कमरों में इस्तेमाल होने वाले परदे आदि शामिल हैं। इसके लिए विभाग लगातार प्रयासरत है।

इसलिए खादी को बढ़ावा

अधिकारियों के मुताबिक खादी के उत्पादन में आज भी मशीनों का उपयोग नहीं हो रहा है। कताई-बुनाई हरकरघा और बुनकर के जरिए हो रही है। इसमें श्रमिक हाथ से ही धागा बनाते हैं। इसके बाद कपड़ा भी हाथ से ही बनाया जा रहा है, इसलिए खादी के उपयोग में अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। आने वाले दिनों ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की कवायद है।

सरकारी विभागों में भंडार क्रय-नियमों का नहीं हो रहा पालन

भंडार क्रय-नियमों के मुताबिक सरकारी विभागों में हैंडलूम और खादी से बने कपड़ों का इस्तेमाल किया जाना है, लेकिन ज्यादातर सरकारी विभागों में इसकी अनदेखी की जा रही है। सरकारी विभागों में खादी का इस्तेमाल न के बराबर है। सरकारी कार्यालयों में खादी को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने भंडार-क्रय नियमों में खादी को प्राथमिकता सूची में रखते हुए इसकी खरीदी के लिए प्रोत्साहित किया है।

अब पहले से होगा ज्यादा मजबूत

खादी से बने कपड़े पहले से ज्यादा मजबूत होंगे। महात्मा गांधी इंडस्ट्रीज आफ रूरल इंडस्ट्रलाइजेशन (एमजीआइआरआइ) में लगातार हुए रिसर्च और वस्त्र मंत्रालय से प्राप्त दिशा-निर्देशों के बाद खादी बनाने के तरीके में बदलाव करते हुए धागों को अब ज्यादा मजबूती से तैयार किया जा रहा है, ताकि खादी के कपड़ों में मजबूती ज्यादा समय तक बनी रह सके।

केमिकल डाई के बजाय हर्बल डाई का उपयोग

खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड ने खादी से बने कपड़ों में केमिकल डाई पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे पहले खादी के कपड़ों को रंगने के लिए केमिकल डाई यानी रासायनिक रंगों का उपयोग होता था, लेकिन अब खादी से बने कपड़ों में हर्बल डाई का उपयोग किया जाएगा। इसमें फूल, पत्ती और पेड़ों की जड़ों से बने रंगों से कपड़ों को रंगा जाएगा।

ग्रामोद्योग के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके, इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। खादी को जनमानस और लोगों के बीच प्रोत्साहित करने और स्वरोजगार के उद्देश्य से नए अनुप्रयोग किए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में और भी नवाचार होंगे। खादी का उपयोग गाज बैंडेज के रूप में अस्पतालों में करने जा रहे हैं। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग और खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के बीच सितंबर महीने में आयोजित बैठक के बाद सहमति मिल चुकी है। खादी का उपयोग सरकारी विभागों में ज्यादा से ज्यादा हो, इस पर हम प्रयास कर रहे हैं।

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