अल्बर्ट आइंस्टीन का रिकॉर्ड तोड़ कर गरियाबंद छत्तीसगढ़ के पीयूष बने दुनिया के सबसे कम उम्र के वैज्ञानिक, परिवार में खुशी का माहौल

गरियाबंद भूपेंद्र गोस्वामी आपकी आवाज

गरियाबंद। देवभोग

दुनिया की सबसे बड़ी सोच संस्थानों में से एक इंटरनैशनल जनरल ऑफ साइंटिफिक एंड इंजीनियरिंग ने पीयूष जायसवाल को या प्रमाण पत्र जारी किया है संस्था 01मार्च को एचडी का प्रमाण पत्र भी उसको जारी किया है इसके अलावा पीयूष द्वारा किए गए शोध पर भी अपना वाटर मार्क लगा दिया है ताकि कोई अन्य उस पर अपना दावा ना कर सके

पीयूष का शोध

जिस उम्र में बच्चे ब्रह्मांड की कहानियां सुनते हैं उस उम्र में कि उसने ब्रह्मांड पर रिसर्च करना शुरू कर दिया है।
पीयूष में अपने शोध में पाया कि ब्रह्मांड का अंत निश्चित है उन्होंने हबल थ्योरी का इस्तेमाल करते हुए बताया कि ग्रहों की दुनिया बढ़ती जा रही है उन्होंने बताया कि एक समय के बाद ये सिकुड़ने लगेंगे इस तरह गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ग्रह एक दूसरे को ठीक कर तबाह कर देंगे।

20 पन्ने का शोध
पीयूष ने 6 महीने की कड़ी रिसर्च के बाद अपने 20 पन्ने के शोध को संस्था के पास भेजा था संस्था ने सोच की के चरणों में बारीकी से जांच करने के बाद पीयूष के शोध को मान्यता प्रदान की है01 मार्च को संस्था ने पीयूष को पीएचडी की डिग्री में जारी कर दी है।

परिवार नहीं जाता इच्छा
बेटे की उपलब्धि पर परिवार बेहद खुश हैं क्षेत्र में लोग भी पीयूष उपलब्धि पर फुले नहीं समा रहे हैं मध्यम वर्गीय परिवार से तालुक रखने वाले पीयूष के परिवार की इच्छा है की पीयूष ने अब तक जो पुस्तकें लिखी है उसका विमोचन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या फिर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों क्षेत्र के लोग भी पीयूष के परिवार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। पीयूष को बचपन में दादा ने कहानी सुनाते वे बताया था की पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है। 13साल के पीयूष ने अब ये सिद्ध कर दिया है कि पृथ्वी शेषनाग के फन पर नहीं बल्कि गुरुत्वाकर्षण बल पर टिकी है और गुरुत्वाकर्षण बैलेंस बिगड़ने पर कभी भी ब्रह्मांड का विनाश हो सकता है।

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