यास्मीन सिंह द्वारा रायगढ़ घराने की कथक परंपरा पर आधारित पुस्तकों का लोकार्पण
कला और संस्कृति की अद्भुत धरोहर को समर्पित एक ऐतिहासिक आयोजन
26 नवंबर 2024 भारतीय शास्त्रीय नृत्य की समृद्ध विरासत को संरक्षित और प्रचारित करने के उद्देश्य से एवं कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में, यास्मीन सिंह ने रायगढ़ घराने के कथक परंपरा पर आधारित दो पुस्तकों का लोकार्पण किया। यह पुस्तकें कथक नृत्य की समृद्ध विरासत और रायगढ़ घराने के योगदान को उजागर करती हैं।
यास्मीन सिंह ने अपने संबोधन में कहा, “रायगढ़ घराने का कथक परंपरा में अमूल्य योगदान रहा है। महाराजा चक्रधर सिंह जी की सौंदर्यबोध और उनके द्वारा किए गए कार्यों को हमें कभी भुलाना नहीं चाहिए।”
इन पुस्तकों का लोकार्पण एक महत्वपूर्ण कदम है जो कथक नृत्य की विरासत को संरक्षित करने और आगे बढ़ाने में मदद करेगा। यास्मीन सिंह के इस प्रयास की सराहना करते हुए, हमें उम्मीद है कि यह पुस्तकें कथक प्रेमियों और कला संरक्षकों के लिए एक अमूल्य संसाधन सिद्ध होंगी।
यास्मीन सिंह कला जगत के लिए एक वरदान से कम नहीं हैं। नए जनरेशन के कथक कलाकारों के बीच यास्मीन एक उदीयमान नाम है, जिन्होंने अपनी अद्वितीय प्रतिभा और समर्पण से कथक जगत में एक विशिष्ट स्थान बनाया है।
यास्मीन सिंह की कथक यात्रा की शुरुआत इंदौर के प्रसिद्ध गुरु मधुकर जगताप जी के संरक्षण में हुई। उनकी मार्गदर्शन में यास्मीन ने कथक की बारीकियों को सीखा और इस कला के प्रति अपनी समर्पण को बढ़ाया।
शिक्षा और प्रशिक्षण
यास्मीन सिंह ने अपनी शिक्षा की शुरुआत इंदौर में की, जहां उन्होंने मधुकर जगताप जी से कथक की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से संगीत में स्नातकोत्तर किया। इसके बाद, उन्होंने राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर से पीएचडी किया है।
पुरस्कार और सम्मान
यास्मीन सिंह को उनकी अद्वितीय प्रतिभा और समर्पण के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार हैं:
● संस्कृति मंत्रालय द्वारा सीनियर फेलोशिप
● आईसीसीआर द्वारा प्रमाणित एकल कलाकार
● दूरदर्शन की उत्कृष्ट कलाकार
● संस्कार भारती, छत्तीसगढ़ की उपाध्यक्ष का पद
इन पुरस्कारों और सम्मानों से यास्मीन सिंह की प्रतिभा और समर्पण को और भी मान्यता मिली है।
पुस्तकों का परिचय:
1.“कथक नृत्य प्रणेता और संरक्षक: राजा चक्रधर सिंह”
यह पुस्तक राजा चक्रधर सिंह के जीवन, उनके बचपन, शिक्षा, रायगढ़ रियासत, कला और कलाकारों के संरक्षक के रूप में उनकी भूमिका, रायगढ़ घराने की स्थापना, और कथक नृत्य के विकास में उनके अभूतपूर्व योगदान पर केंद्रित है। इसमें उनकी रचनात्मक दृष्टि, शास्त्रीय संगीत और नृत्य में उनकी गहन पकड़, और उनके द्वारा रचित अनूठी ताल और बंदिशों का उल्लेख किया गया है।
2.“रायगढ़ घराने की कथक रचनाओं का सौंदर्यबोध”
यह पुस्तक रायगढ़ घराने की रचनाओं की विशिष्टताओं, सौंदर्यशास्त्र और उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का विश्लेषण प्रस्तुत करती है। इसमें राजा चक्रधर सिंह की काव्यात्मक और रचनात्मक शैली पर विशेष ध्यान दिया गया है। उदाहरणस्वरूप, उनकी रचनाएँ जैसे “गजविलास परन” (मदमस्त हाथी की चाल) और “बादल बिजली” (बादलों की गड़गड़ाहट, बिजली की चमक) उनके सौंदर्यबोध को दर्शाती हैं। पुस्तक में उनकी ठुमरी, ग़ज़ल, भजन आदि का भी उल्लेख किया गया है।
मुख्य अतिथि और वक्तव्य:
इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री माननीय श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, “रायगढ़ घराने की कथक परंपरा भारतीय शास्त्रीय नृत्य का एक महत्वपूर्ण अंग है। डॉ. यास्मीन सिंह की इन पुस्तकों के माध्यम से हम राजा चक्रधर सिंह की अनमोल विरासत को संरक्षित और प्रचारित कर सकते हैं।”
छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष माननीय श्री रमन सिंह ने कहा, “डॉ. यास्मीन सिंह ने रायगढ़ घराने की कला परंपरा को सहेजने और उसके प्रचार-प्रसार करने का जो प्रयास किया है, वह भारतीय शास्त्रीय नृत्य की दुनिया में एक मील का पत्थर साबित होगा।”
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:
• पुस्तकों के संकलकों और लेखकों ने उनकी रचना प्रक्रिया और रायगढ़ घराने के महत्व पर अपने विचार साझा किए।
• सांस्कृतिक सत्र: श्रोताओं को पुस्तक की विषयवस्तु और कथक के विकास पर सवाल-जवाब करने का अवसर दिया गया।
डॉ. यास्मीन सिंह का वक्तव्य:
पुस्तकों की लेखिका डॉ. यास्मीन सिंह ने कहा, “रायगढ़ घराना भारतीय कला जगत का अनमोल खजाना है। इन पुस्तकों के माध्यम से मैंने राजा चक्रधर सिंह के योगदान और उनकी अद्वितीय रचनाओं को संरक्षित करने का प्रयास किया है। मेरा उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ियाँ इस विरासत को समझें और इसे आगे बढ़ाएँ।”
पुस्तकों का महत्व:
डॉ. यास्मीन सिंह द्वारा लिखित ये पुस्तकें न केवल कथक के छात्रों और विद्वानों के लिए, बल्कि कला प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए भी एक अमूल्य धरोहर हैं। ये भारतीय शास्त्रीय नृत्य की गहराई और विविधता को समझने और उसके संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
उपसंहार:
इस समारोह ने रायगढ़ घराने की महान परंपरा को विश्व मंच पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इन पुस्तकों का लोकार्पण केवल साहित्य का प्रकाशन नहीं है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का एक सराहनीय प्रयास है।