एलॅन्स स्कूल में स्वंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती मनाई गई

दिनेश दुबे 9425523689
*एलॅन्स स्कूल में स्वंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती मनाई गई*
बेमेतरा- :- एलॅन्स पब्लिक स्कूल बेमेतरा में क्रांतिकारी, भारत माता के सपूत भारतरत्न सुभाषचंद्र बोस  की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
सुभाष जी के तैल्यचित्र पर प्राचार्य डॉ. सत्यजित होता, विद्यार्थी एवं शिक्षकगण ने माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित किया। ततपश्चात समरेश मोहंती, आरव साहू, माही बंजारे तथा रिया टंडन ने देश के लिए किए गए अविस्मर्णीय कार्यो तथा उनके जीवनी पर प्रकाश डालकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कु. अस्मिता सिन्हा छात्रा ने गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता के अद्भुत पाठ से दर्शको को रोमांचित किया। 
प्राचार्य डॉ. सत्यजीत होता ने कहा कि-‘‘ किसी देश के लिए स्वाधीनता सर्वोपरि है। इस महान मूलमंत्र को शैशव और नवयुवको की नशों मे प्रवाहित करने तथा तरुणो की सोई आत्मा को जागाकर स्वाधीनता महासंग्राम के महा यज्ञ मे अपने प्राणो की आहुति  देने वाले सुभाष जी को कोटि कोटि नमन। सुभाष बाबू बचपन से कुशाग्र बुद्धि एवं क्रांतिकारी सोच वाले बालक थे। जिनका विद्या अध्ययन से लेकर सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन रहस्य से भरा हुआ था। सुभाषचन्द्र बोसे क्रांतिकारी सोच के आदर्श महापुरूष थे। उनका सम्पूर्ण जीवन अनुकरणीय है। वे प्रत्येक राष्ट्र प्रेमी भारतीय के प्रेरणा स्रोत हैं। वे सच्चे माता भारती के संतान थे l अदम्य साहस और देशभक्ति  मे लीन होने के कारण भारत माता के सपूत कहलाए। सुभाष बाबू  न केवल भारतियों के दिल में राज करते हैं बल्कि विदेशी ताकतें और सरकारें  उनकी साहस और नेतृत्व की सराहना करती हैं। उनका रिश्ता स्वतन्त्रता प्राप्ति के गरम पंथी दल से था। उन्होने आजाद हिन्द फौज का गठन किया तथा द्वितीय विश्व युद्ध मे इंग्लंड के खिलाफ जंग छेड़ा। सुभाषचंद्र बोस के विचार मर्यादित थे। उनका कहना था कि अच्छे कार्य के लिए विचार हमे धरातल प्रदान करता है। हमारे विचार साहसपूर्ण और राष्ट्रीयता से ओतप्रोत होंगे तभी हमारा संदेश अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा। उन्होने बंगाल की घटित घटना का भी विवरण किया। विद्रोही कवि कांजी नज़रुल ईशलम जिन्होने अग्नि वीणा नामक किताब सुभाष के नाम से समर्पित कर उन्होने महानायक कहकर चिन्हित किया। उनके व्यक्तित्व को महान सेनापति के रूप से जाना जाता था। इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री एटली 1956 मे पश्चिम बंगाल, भारत घूमने आए, वह उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश तथा कार्यवाहक राज्यपाल पीवी चक्रवर्ती से मिले। चक्रवर्ती ने एटली से पूछा की 1947 मे भारत को आजादी कैसे मिली। एटली ने बताया कि भारत को स्वतन्त्रता भारत की बहुतायत सैनिकों के कारण मिली। 1942 मे हिटलर ने सुभाषचन्द्र बोस को नेताओ का नेता भी कहा। एक बार रंगून के मुस्लिम ने नेताजी को एक करोड़ रु. दान देने की बात कही तब नेताजी ने बड़ी विनम्रता से कहा कि आप क्या करेंगे, तब  मुस्लिम ने कहा मै  खुद आजाद हिन्द फौज मे भर्ती हूंगा, मेरी पत्नी और बेटी रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट मे भर्ती होंगे और छोटा बेटा आजाद हिन्द की बाल सेना मे भर्ती होगा। भारत-पाक विभाजन के बारे मे मोहम्मद आली जिन्ना और महात्मा गांधी के वार्तालाप मे यह कहा गया कि यदि स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री सुभाषचंद्र बोस होते तो भारत और पाकिस्तान का विभाजन  नही होता। भारत को आजाद कराने मे सुभाषचंद्र बोस का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
“तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा”, “दिल्ली चलो” तथा  जय हिन्द और सुभाष अमर रहे के नारो से बुलंद किया। उन्होने कहा कि युवा पीढ़ी के लिए उनका जीवन प्रेरणादायी है। उन्होने प्रत्येक शिक्षक एवं विद्यार्थियों से अपिल है की कि उनके पद चिन्हों का अनुसरण करे तथा सत्य का साथ देते हेतु निर्भिक व निडर बनें।‘‘
जयंती समारोह में, स्कूल प्रबंधन कमलजीत अरोरा, स्कूल डायरेक्टर पुष्कल अरोरा, स्कूल प्रशासक सुनील शर्मा उपस्थित थे।

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