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पूछता है रायगढ़,सिटी बस कहा है,धरती में समा गई,या फिर आसमान खा गया

रायगढ़ :निगम ने कुछ वर्ष पहले रायगढ़ में जोर शोर से और धूमधाम से सिटी बसों का परिचालन लोगों को सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया था परंतु लाखों रुपए पब्लिक के खर्च होने के बाद भी उसका लाभ आम जनता को ज्यादा दिनों तक नहीं मिला और यह योजना अधृशय हो गई। चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात कहावत चरितार्थ हो गई।
चक्रपथ पर सिटी बसों के लिए बकायदा वर्क शॉप बनाया गया बसों के रखरखाव के लिए परन्तु वहां न तो बसों को मेंटेंश किया जा रहा है, न ही बसों का अता पता है। अल्ब्ता उस वर्क शॉप को ही रखरखाव और मरम्त की जरूरत है वहा शराबीयों एवं जूवाड़ीयों का अड्डा बन गया है । सभी बसें कहां है उसकी खोज खबर के लिए स्पेशल जासूस लगाने पड़ेंगे,क्योंकि बसों की पता साजी करने में निगम सक्षम है ही नहीं। इस योजना से लाभान्वित तो जनता हुई नही और निगम को न तो माया मिली न राम।
छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार के द्वारा इ बसों की सौगात दी गई है, परंतु रायगढ़ को इसका लाभ प्राप्त नहीं हुआ, जबकि अन्य जिलों में सिटी बस का परिचालन हो रहा है लेकिन रायगढ़ नगर निगम की जनता का दुर्भाग्य या विडंबना माने की इसका लाभ नहीं मिला जनता को ऑटो का उपयोग मजबूरी में करना पड़ता है, सिटी में आने जाने के लिए अनाप शनाप पैसे मजबूरी में खर्च करने पड़ते है। सिटी बसों की योजना पूरी तरह फेल हो गई है, बहुत सी जनता दबी जबान में यह भी कहती है की जान बूझ कर इसका जनाजा निकाला गया किसी एक वर्ग को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से। इस योजना पर निगम को इंट्रेस्ट है ही नही, मजे की बात यह है कि जनता के पैसों का दिवाला निकलता देख कांग्रेस के निगम सरकार के नुमाइडे  कुछ खास नहीं कर पाए सरकार को घेरने और प्रश्न पूछने का अधिकार विपक्ष को होता है निगम विपक्ष की भूमिका निभाने वाली भाजपा ने भी ऐसी कोई पहल नहीं की दोनों प्रमुख पार्टियों के जनप्रतिनिधि भी चादर ओढ़ कर सो गए है मानो एक डाल पर तोता एक डाल पर मेना

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