
कोटवार ने किया हुक्कापानी बंद, पीड़ित परिवार न्याय की फरियाद करने पहुंचा कलेक्टर के पास
रायगढ़।। सरकारी जमीन की अवैध खरीद फरोख्त में दखलंदाजी करने के बदले एक परिवार को ऐसी सजा मिली कि लोग उसे देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं। कोटवार ने दबंगई दिखाते हुए परिवार का हुक्का पानी ही बंद कर दिया। पीडि़त परिवार ने पुलिस से मदद की मांग भी की, मगर कोई कार्रवाई नहीं होने पर अब परेशान दम्पत्ति ने अपने दो बच्चों के साथ कलेक्टर जनदर्शन में जाकर न्याय की फरियाद की है।
मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर स्थित सृजन सभाकक्ष के बाहर फरियादियों की भीड़ में एक ऐसा भी परिवार खड़ा था, जिनके चेहरे की मायूसी बता रही थी कि वे काफी परेशान हैं। कलेक्टर श्रीमती रानू साहू के नाम अपर कलेक्टर संतन देवी जांगड़े को सौंपे आवेदन में यशवंत कुमार डनसेना ने बताया कि वह खरसिया विकाखंड के ग्राम बड़े डूमरपाली में अपनी पत्नी और दो मासूम बच्चों के साथ रहता है। यशवंत की माने तो गांव में शासकीय भूमि के गलत तरीके से खरीद-बिक्री की उसे भनक लगी और उसने हस्तक्षेप किया तो कोटवार उसका दुश्मन बन बैठा। कोटवार ने सोची समझी साजिश के तहत दर्जनभर ग्रामीणों के साथ आपातकालीन बैठक करते हुए यशवंत के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास कर उसके परिवार का हुक्का पानी बंद करने का फरमान जारी कर दिया।
कोटवार के इस फैसले ने यशवंत और उसके परिवार का जीना दुश्वार कर दिया है, क्योंकि गांव में कोई भी शख्स इनकी सहायता के लिए न अपना हाथ बढ़ा रहा है, बल्कि दूरी बनाते हुए सामाजिक बहिष्कार तक कर दिया। ऐसे में गांव में दाना-पानी बन्द होने से दुखी परिवार ने खरसिया थाने जाकर आपबीती भी बताई, मगर पुलिस की तरफ से कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई तो मजबूर परिवार को रायगढ़ आकर जनदर्शन में गुहार लगानी पड़ी। यशवंत ने पत्रकारों को बताया कि एक कोटवार के गलत कामकाज का विरोध करने के कारण गांव में हुक्का पानी बंद होने से उसे प्रताडना से दौर से गुजरना पड़ रहा है। पुलिस भी कुछ नही कर रही है। इस मामले में अगर कलेक्टर भी रुचि नहीं दिखाएंगी और कोई प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होगी तो वह अपने बीवी-बच्चों के साथ भूख हड़ताल करने के लिए विवश होगा।
दरअसल, 15 दिन पहले ही कोटवार ने यशवंत के घर जाकर उसके परिवार को हुक्का पानी बंद करने की बात कही। साथ ही गांव के किसी भी शख्स से कोई संबंध नहीं रखने बात की कही। और तो और कोटवार ने राशन व पानी पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है, लिहाजा गांव में कोई भी दुकानदार उनको सामान तक नहीं दे रहा है। इसके चलते यशवंत के साथ उसकी बीवी तेजस्विनी, बेटा ओंकार और बेटी सोनिया को दाने-दाने के लिए भटकना पड़ रहा है।