
बिलासपुर। जिला खनिज निधि के तहत मंगाई गई निविदा प्रक्रिया को दोषपूर्ण पाते हुए उच्च न्यायालय बिलासपुर ने जिला पंचायत सीईओ जांजगीर के कार्यादेश को निलंबित कर दिया है। इससे जिले मे डीएमएफ के कामो को तगड़ा झटका लगा है।
मिली जानकारी के अनुसार, राज्य शासन के निर्देश के तारतम्य में डीएमएफ में कराए जाने वाले कार्यो के लिए, केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार कार्ययोजनाएं निर्मित की जानी थी।
जिला पंचायत जांजगीर ने राज्य सरकार की गाइडलाइन में हेरफेर करते हुए, इस तरह से निविदा शर्ते बनाई जिससे किसी भी मनोवांछित फर्म को विजेता बनानें का अवसर, कुछ अधिकारियों के हाथ मे आ गया।
इस कमेटी ने पॉइंट प्रस्तुतिकरण में ऊंचे अंक देकर, दोगुनी कीमत भरने वाली एक स्थानीय फर्म को विजेता बना दिया। फिर आनन फानन में करोड़ो रूपये का एडवांस जारी कर दिया। इससे व्यथित न्यूनतम बोलिदार ने हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर की।
मामले के पैरवीकार हाईकोर्ट अधिवक्ता हरि अग्रवाल और आशीष उपाध्याय ने बताया कि हाईकोर्ट द्वारा जारी नोटिस पर जिला पंचायत कोई जवाब प्रस्तुत नही कर सका। इसलिए सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों के आधार पर उच्च न्यायालय ने पूरी निविदा प्रकिया को प्रथम दृष्टया दोषपूर्ण और मेलाफाइड मानते हुए, जिला पंचायत के कार्यादेश को निलंबित कर दिया है और कार्य पर रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप है। जांच में कुछ अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना है। योजना निर्माण रुकने से जिले में होने वाले डीएमएफ के तमाम काम भी अधर में लटक गए हैं। सवाल यह भी है कि दोषपूर्ण निविदा में जारी किए गए करोड़ो रुपयों की रिकवरी किस प्रकार होगी।