आशीष तिवारी
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*ढाई-ढाई साल के मुद्दे पर सिंहदेव का बड़ा बयान कहा कि बंद कमरे में हुई बात पर फैसला होना चाहिए की परिवर्तन होगा या नही:टी एस सिहदेव
रायपुर। छत्तीसगढ़ में चल रहे ढाई-ढाई साल वाले मुख्यमंत्री के मुद्दे पर स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव ने ऑन रिकॉर्ड बडी बात कही की उस वक्त मुख्यमंत्री चयन के विषय मे बंद कमरे में कुछ बातें हुई थी उस पर अब निर्णय आ जाना चाहिए कि छत्तीसगढ़ में परिवर्तन होगा या नही होगा।
*यह बयान स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने दंतेवाड़ा में संवाददाताओं के सवालों पर दिया है।
*छत्तीसगढ़ में इस वक़्त चल रही दो यात्रा काफी चर्चे में है एक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कि जो सरकार कि योजनाओं का जायजा लेते हुए तथा आम लोगों के संपर्क जो कि सरगुजा से ही शुरुआत हुई है। दूसरी स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव की हवाई यात्रा जिसकी शुरुआत दंतेवाड़ा से हुई।
*पिछले विधानसभा चुनाव के समय से ही मुख्यमंत्री चयन पर यह मामला गरमाया हुआ था कि चुनाव के बाद ढाई ढाई साल का फार्मूला होगा और यह बात हाईकमान के मौजूदगी में तय हुई थी कि भूपेश बघेल को पहला मौका दिया जायेगा उसके बाद ढाई साल के लिए सिंहदेव को मौका दिया जायेगा।
मंत्री सिंहदेव ने संवाददाताओं के सवालों पर कहा कि देखते हैं आगे क्या होता है, इस पर एक स्पष्ट निर्णय आना चाहिए तथा बंद कमरे में हाईकमान एवं वरिष्ट नेताओं के सामने यह चर्चा एक बंद कमरे मे हुई थी, लेकिन मर्यादा का ध्यान रखते हुए हम लोग कुछ बोलते नही एवं बंद कमरे में हुई बात एक व्यवहारिक जिम्मेदारी होती है।वरना हाई कमान खुद अनाउंस कर देते की बात क्या हुई थी। जब वे पब्लिक नहीं कर रहे हैं तो हमारे लिए भी वही संकेत है कि बंद कमरे की बात को बंद ही रहना चाहिए । अगर यह बात प्रदेश में चल रही है कि ऐसा कुछ हुआ था, तो अब समय है कि उस पर एक निर्णय आ जाना चाहिए कि परिवर्तन होगा या नहीं होगा।
*नाराजगी के एक सवाल पर सिंहदेव ने कहा कि नाराजगी की कोई बात ही नही है,काम करने की मंशा रहती है बस तथा जहां काम करने का मौका मिलेगा वहाँ काम करेंगे।
*संवाददाताओं ने जब युवा आयोग सदस्य को हटाए जाने पर सवाल किया तब सिंहदेव ने कहा कि पार्टी घर के अंदर अगर ऐसी कोई बात होती है तो खराब लगती ही है।
कुछ वक्त पहले भी एक विधायक बृहस्पत सिंह ने मंत्री सिंहदेव को लेकर बयान दिया था कि उन्हें स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव से जान का खतरा है लेकिन सारे आरोपों पर विराम तब लगा जब खुद विधायक ने प्रेस कांफ्रेंस में अपनी गलती कुबूल की थी औऱ पत्रकारों के सवाल पर भड़कते हुए किस तरह से अपना गुस्सा जाहिर कर दिया था यह सभी ने देखा,औऱ तो औऱ निष्कासन की कोई भी कार्यवाही नही कि गई थी।
खैर देखने सोचने की बात यह है कि आखिर यह सियासी गर्मी कब शांत होगी औऱ यह मुद्दा कब खत्म होगा।