बिजली बिल में अतिरिक्त सुरक्षा निधि जुड़ने से उपभोक्ता परेशान, ऐसे होगा समाधान

बिजली बिल में इस महीने अतिरिक्त सुरक्षा निधि जुड़ने से जिले भर के बिजली उपभोक्ता परेशान हैं। बिजली विभाग के दफ्तर में रोज सैकड़ों उपभोक्ता बिल कम कराने के लिए बिल लेकर पहुंच रहे हैं। उपभोक्ता की परेशानी को ध्यान में रखकर बिल को लेकर संशय दूर करने विभाग ने दूरभाष नंबर और ईमेल आइडी पर शिकायत करने की अपील की है।

बिजली वितरण कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग एक स्थायी निर्देशों के तहत सुरक्षा निधि लेने का प्राविधान है। हर वर्ष बीते 12 महीने के उपयोग किए गए बिजली की औसत खपत की गणना कर अक्टूबर में अतिरिक्त सुरक्षा निधि के अंतर की राशि ली जाती है। इसकी गणना प्रचलित टैरिफ के आधार पर नियमानुसार पहले से जमा सुरक्षा निधि को घटाकर की जाती है।जितनी राशि का अंतर होता है, उतनी अतिरिक्त सुरक्षा निधि की देयता बनती है।

 

ऐसे समझें अधिभार
अधिकारियों ने बताया कि उदाहरण के तौर पर यदि एक उपभोक्ता का कनेक्टेड लोड 280 वाट है और इस साल की औसत खपत यूनिट 280 है। तदानुसार बिलिंग राशि रुपये 1426 होगी, जिस पर गणना के आधार पर 490 रुपये की अतिरिक्त सुरक्षा निधि राशि की देयता बनती है, जो बिलिंग राशि का कुल 34 प्रतिशत है।यह प्रतिशत खपत के आधार पर अलग-अलग उपभोक्ताओं के लिए अलग-अलग होगी।
उल्लेखनीय है कि सुरक्षा निधि राशि उपभोक्ता की स्वत: की विभाग के पास रखी राशि होने के कारण विभाग ब्याज भी देता है, जो वर्तमान में 4.25 फीसद पर देय है। बिजली की आपूर्ति पहले की जाती है एवं माह भर में उपयोग किए गए बिजली का बिल का भुगतान अगले माह की जाती है।

 

अत: वार्षिक औसत खपत का न्यूनतम दो माह की सुरक्षा निधि प्रावधानित है। अलग-अलग उपभोक्ताओं का कनेक्टेड लोड अलग-अलग होता है और इसी के अनुसार उनकी खपत में भी भिन्नाता रहती है। जिनकी वार्षिक औसत खपत कम होगी उसी अनुसार उनकी सुरक्षानिधि राशि भी कम होती है, जबकि अधिक खपत करने वाले उपभोक्ताओं की सुरक्षा निधि राशि भी अधिक रहेगी।इस प्रकार वार्षिक औसत खपत के आधार पर अलग-अलग उपभोक्ताओं के सुरक्षा निधि राशि में भिन्नता होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button