छत्तीसगढ़

बेटी ने दी पिता को मुखाग्नि, बेटे की तरह अंतिम संस्कार पूरे किए 

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
जिस पिता के कंधों पर बेटी खेलकर बड़ी हुई थी। बुधवार को उसी पिता को अर्थी को उसने कंधा भी दिया और मुखाग्नि देकर बेटा का फर्ज निभाया। बेटी को पिता की अर्थी कंधे पर ले जाते देख लोगों की आंखे नम हो गई। लवन नगर के मेन रोड वार्ड क्र. 02 निवासी पंडित परमानंद तिवारी की दो बेटियां थी। छोटी बेटी एक साल पहले ही गुजर चूकी है। बड़ी बेटी कविता तिवारी ने बेटी का फर्ज निभाते हुए सभी रस्म को पूरा कर अपने पिता को मुखाग्नि दिया। आम तौर पर पुुरूष प्रधान समाज में बेटा ही अर्थी को कांधा देता है। लेकिन इस परंपरा को तोड़ते हुए कविता ने ही पिता के अंतिम क्रिया कर्म के सभी संस्कार पूरे किए। मरने से पहले पिता ने इच्छा जताई थी कि बेटी ही उनका अंतिम संस्कार करे। बेटी ने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए सभी रीति-रिवाज के साथ पिता का अंतिम संस्कार किया। बेटी कविता ने न केवल पिता का सपना पूरा किया बल्कि समाज के लिए नया उदाहरण भी पेश किया। पंडित परमानंद तिवारी को कोई बेटा नहीं था। उसका आकस्मिक निधन बुधवार को हुआ। पिता की इच्छा अनुसार बुधवार को कविता तिवारी ने लवन स्थित जोगी सरोवर में पिता की चिता को मुखग्नि दी। अंतिम संस्कार के सभी रीति रिवाजों को बेटी कविता ने ही निभाया। बेटी ने पिता का फर्ज निभाया। बेटी ने पिता की इच्छा पूरा करने के साथ बेटे का फर्ज भी निभाया जो पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। समाज के लोग भी इसकी सराहना कर रहे है।

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