छत्तीसगढ़न्यूज़

बेमेतरा बनेगा एथेनाल हब..पलायन पर लगेगी रोक,किसानों को मिलेगी ताकत.

बेमेतरा….आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है…परिणाम समय की मांग…वर्तमान समय में ऊर्जा ही नहीं बल्कि मेडिसीन से लेकर सौंदर्य सामाग्रियों समेत अन्य क्षेत्रों में एथेनाल की सर्वाधिक मांग है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन अफसोस इस बात को लेकर भारत ऐथेनाल के उत्पादन में बहुत ही पीछे है। इतने बड़े देश में मात्र 400 प्लान्ट से एथेनाल का उत्पादन हो रहा है। जरूरतों के हिसाब से एथेनाल का उत्पादन मात्र एक या दो प्रतिशत से अधिक नहीं है। जाहिर सी बात है हमारी सरकार भारी भरकम राशि खर्च कर विदेशों से आयात कर जरूरतों को पूरा कर रहीं है।

समय की मांग को भांपते हुए भारत सरकार ने जहां तहां एथेनाल उत्पादन की नई क्रांति पैदा करने का प्रयास किया और प्रयास अब सफल होता दिखाई दे रहा है। देश के अन्य भागों के साथ छत्तीसगढ भी ऐथेनाल उत्पादन क्रांति में देश के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार हो गया है। प्रदेश सरकार के प्रयास से जहां तहां ऐथेनाल उत्पादन की नई ईकाइयां स्थापित की जा रही है। कुछ ने तो काम करना भी शुरू कर दिया है।

सबसे बड़ी बात कि ऐथेनाल उत्पादन पर्यावरण सहयोगी भी है। लेकिन जैसा की होता है कि हमारे भोले भाले लोग कुछ लोगों के बहकावे में आकर सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध करना शुरू कर देतें हैं । जब तक उन्हें सच्चाई की जानकारी मिलती है तब तक हम बहुत नुकसान कर चुके होते हैं। लेकिन इस बार बेमतरा के लोग ऐसी भूल के लिए किसी भी सूरत में तैयार नहीं है।

*समृद्ध होगा बेमेतरा जिला*
  जल्द ही एथेनाल उत्पादन में प्रदेश यानी छत्तीसगढ़ का नाम देश में गर्व से लिया जाएगा। प्रदेश के 33 जिलों में बेमेतरा पहला जिला होगा जहां से ऐथेनाल का सर्वाधिक उत्पादन होगा। बहरहाल ग्राम पंचायत पथर्रा में प्रदेश का तीसरा एथेनाल प्लान्ट दो एक दिन में शुरू हो जाएगा। जिले में ऐथेनाल के 11 प्लान्ट तैयार हो रहे है। दो एक प्लान्ट से दो एक दिन बाद उत्पादन कार्य शुरू हो जाएगा। इससे स्थानीय स्तर पर बेरोजगारी में कमी आएगी। धान का पैदावार बढेगा..जाहिर सी बात है कि लोग समृद्ध होंगे।
*भोले भाले लोगों का फायदा*

लेकिन अन्य क्षेत्रों की तरह यहां भी देखने में आ रहा है कि जनसुनवाई समेत सारी शासकीय प्रक्रिया को हरी झण्डी मिलने के बाद कुछ लोग अपने हितों को साधना शुरू कर दिया। भोले भाले ग्रामीणों की ताकत से अपनी रोटी सेकना शुरू कर दिये है। कभी एथेनाल  उद्योग को पर्यावरण के खिलाफ तो कभी कृषि विरोधी बता रहे है। मजेदार बात है कि एथेनाल उद्योग ना तो पर्यावरण विरोधी है और ना ही कृषि उद्योग के खिलाफ है। जबकि विरोध करने वाले भली भांति जानते है कि ऐथेनाल उत्पादन में प्रदूषण की कोई संभावना नहीं है।
*पराली से ज्यादा पौष्टिक चारा*

मामले में कृषि विज्ञानिकों ने बताया कि छत्तीसढ कृषि प्रधान राज्य है। यहां की मिट्टी और वातावरण धान उत्पादन के अनुकूल है। जाहिर सी बात है कि यहां की मुख्य फसल धान ही है। धान एथेनाल उत्पादन का सबसे अच्छा श्रोत है। एथेलान चावल ,मक्का धान और अन्य स्टार्च वाली फसलों से तैयार किया जाता है। वैज्ञानिक प्रक्रिया के बाद स्टार्च से ऐथेनाल तैयार किया जाता है। ऐथेनाल उत्पादन की सबसे बड़ी विशेषता कि इसके अपशिष्ट से पशुओं का आहार भी तैयार होता है। धान की पैराली से कहीं ज्यादा पौष्टिक और लाभदायक होता है।

मतलब ऐथेनाल निर्माण के दौरान अपशिष्ट निकलता ही नहीं। यहां तक कि गंदा पानी भी उपयोग हो जाता है। जैसा की हम जानते हैं कि उद्योग से निकलने वाला पानी खेती किसानी के लिए बहुत ही नुकसान दायक होता है। लेकिन ऐथेनाल प्लान्ट से पानी निकलेगा का सवाल ही नहीं है। तो खेती को नुकसान पहुंचने की बात बहुत दूर है।

*किसानों को दोहरा मुनाफा*

ऐथेनाल उत्पादन में धान का बहुत ही महत्व है। जग जाहिर है कि छत्तीसगढ़ देश में सर्वाधिक धान उत्पादन करने वाले राज्यों में शामिल है। यही कारण है कि बेमेतरा समेत छत्तीसगढ़ में धान आधारित ऐथेनाल प्लान्ट तेजी से तैयार हो रहे है। इस बात को ध्यान में रखते हुए आने वाले समय में किसान अब ज्यादा से ज्यादा धान का उत्पादन करेंगे। धान का सर्वाधिक उत्पादन का मतलब ज्यादा से ज्यादा समर्थन मूल्य का मिलना है साथ ही ऊंची कीमत में फैक्ट्री तक पैराली का पहुंचना है। बुद्धिजीवियों का मानना है कि इसे हम आम का आम और गुठलियों का दाम कहें तो गलत नहीं होगा। किसान एक तरफ से प्रति क्विटंल 3100 रूपये में धान बेचेगा। अब पैराली को जलाने की वजाय फैक्ट्री को ऊंची कीमत में बेचेगा। निश्चित रूप से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। ग्राम पंचायत पथर्रा स्थित प्लान्ट प्रबंधन ने एलान भी कर दिया है कि किसानों को पैराली लेकर फैक्ट्री की जरूरत ही नहीं होगी। घर पहुंचकर भुगतान कर पैराली को फैक्ट्री लाएगा।

*पलायन पर रोक..रोजगार को बढ़ावा*

सभी हाथों को काम मिले..ऐसा सिर्फ उद्योग को बढ़ावा देने पर ही संभव है। इस बात को सरकार समझती है। भारत समेत छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी का दर तेजी से बढ़ रहा है। लोग काम धाम के लिए पलायन करने को मजबूर हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने पलायन और बेरोजगारी को देखते हुए ही नई उद्योगनीति को तैयार किया। लेकिन इस बात को ध्यान में भी रखा है कि स्थापित होने वाले उद्योग ना केवल अधिक रोजगार देने वाले हो। बल्कि पर्यावरण के अनकुल भी हों।

*बेैमेतरा बनेगा एथेनाल हब*


इन्ही बातों को ध्यान मेैं रखकर बेमेतरा में सर्वाधिक 11 प्लान्ट स्थापित करने का सरकार फैसला किया। हम जानते है कि उद्योग वहीं स्थापित होता है जहां कच्ची सामाग्री और मैन्स पावर अधिक होता है। बेमेतरा कृषि आधारित जिला है। यहां कुशल अकुशल श्रमिकों की बाढ़ है। जाहिर सी बात है कि जिले के पथर्रा ग्राम पंचायत में स्थापित ऐथेनाल प्लान्ट चालू होने से किसानों को ही नहीं..बल्कि युवाओं को भी होगा। धान का उत्पादन बढ़ेगा.,.किसानों को दोहरा फायदा होगा।  घर के बच्चे प्लान्ट में नौकरी करेंगे। पथर्रा स्थित प्लान्ट में इस समय तीन दर्जन से अधिक कुशल और अकुशल श्रमिकों ने काम करना शुरू कर दिया है। कम्पनी प्रबंधन के अनुसार अभी सैकड़ों लोगों की भर्ती किया जाना है।यह काम  प्लान्ट शुरू होते ही चालू हो जाएगा।

*प्रदूषण का सवाल ही नहीं…विशेषज्ञ*

रायपुर निवासी कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि पथर्रा में स्थापित एथेनाल प्लान्ट क्षेत्र के लिए बहुत ही लाभदायक है। खासकर इसका फायदा पर्यावरण संरक्षण को मिलेगा। लोग अब पैराली नहीं जलाएंगे। पैराली में सिलिका की बहुत मात्रा होती है। आग के सम्पर्क में आने के बाद सिलिका प्रदुूषण के साथ कैंसर का कारण बनता है। कंडेनसेट पालिसी के तहत प्लान्ट में उपयोग किए गए पानी को शुद्ध किया जाता है।  प्रक्रिया को बार बार दुहराकर पानी का उपयोग प्लान्ट में ही किया जाएगा। जाहिर सी बात है कि जल प्रदूषण का भी खतरा नहीं है। वायु प्रदूषण भी नहीं.। मिट्टी प्रदूषण का सवाल ही नहीं है।

*करोड़ो डॉलर की बचत*
एथेनाल का सर्वाधिक उपयोग ईंधन में किया जाता है। देश मेैं पर्याप्त उत्पादन नहीं होने से भारत सरकार करोड़ों डालर खर्च कर विदेशों से कच्चा तेल खरीदती है। यदि देश में एथेनाल का प्लान्ट लगाकर व्यापक स्तर पर उत्पादन किया जाए तो देश का मुद्रा भण्डार मजबूत होगा और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार वही कर रही है। इसमें एक प्रयास बेमेतरा जिले के ग्राम पथर्रा स्थित एथेनाल प्लान्ट उत्पादन के लिए पूरी तरह से तैयार है।

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