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28 मई को नए सांसद भवन का उद्घाटन है, मानसून सत्र शुरू होने में अभी 2 महीने का वक्त है अभी उद्घाटन करने का क्या जल्दबाजी है?मनोवैज्ञानिक ढंग से देखें तो अब दिल्ली में 5 जजों की संविधानिक पीठ में जो फैसला किया था दिल्ली सरकार अपने हिसाब से अधिकारियों का ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकती है, उसको तुरंत केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर के फिर से दिल्ली गवर्नर के पास पावर दे दिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता के लिए लगातार काम कर रहे हैं और अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में समर्थन का घोषणा के बाद, उसके बाद कांग्रेस पार्टी ने भी अध्यादेश को संवैधानिक ढांचे के खिलाफ एवं असंवैधानिक करार दिया गया चुनी हुई सरकार एवं लोकतंत्र के खिलाफ बताया गया। राजनीतिक ढंग से देखें तो दिल्ली वाला अध्यादेश भारतीय जनता पार्टी का एक कूटनीति रणनीति है। अगर लोकसभा भंग कर देंगे तो वह अध्यादेश ऑटोमेटिक 6 महीना और बढ़ जाएगा। बीजेपी भी जानती है राज्यसभा में पूर्ण बहुमत में नहीं है अध्यादेश पास हो ही नहीं सकता। और फिलहाल भाजपा कर्नाटक चुनाव हारते ही मनोबल टूटा हुआ है और 2024 लोकसभा चुनाव में इसका असर ना पड़े।₹2000 का नोट बंदी उनका एक स्टैंड है। बीजेपी 1999का लोकसभा चुनाव राम मंदिर के मुद्दे पर लड़ी थी उनको करारी हार का सामना करना पड़ा। फिर उसके बाद 1996 लोकसभा चुनाव में एवं 1999 लोकसभा चुनाव में एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीयअटल बिहारी के समय 2004 में भी यह मुद्दा में चुनाव नहीं लड़ी 2004 में इंडिया शाइनिंग के मुद्दे पर चुनाव लड़ी जिसमें भी बीजेपी को हार मिला। भाजपा कि कर्नाटक में हार से राजनीतिक हवा को भागते हुए। लोकसभा चुनाव भाजपा करप्शन वर्सेस कांग्रेस यानी करप्शन वर्सेस विपक्ष की दिशा की ओर मोड़ते हुए चुनाव लड़ना चाहती है। एवं जनवरी 2024 में राम मंदिर का उद्घाटन हो जाएगा एवं राष्ट्रवाद एवं हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी।
कर्नाटक चुनाव हारते ही भाजपा जिस प्रकार कड़े फैसले ले रही है जैसे ₹2000 का नोट बंदी। फिलहाल मध्य प्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ तेलंगाना एवं महाराष्ट्र में चुनाव है। जिस दिन लोकसभा भंग होगा उसके 6 महीने के बाद चुनाव होना अनिवार्य रहेगा। यानी इन राज्यों के चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने में भाजपा अपना फायदा देख रही है। विधानसभा चुनाव में कहीं हार मिल जाएगी तो लोकसभा चुनाव प्रभावित ना हो। लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ता का मनोबल ना टूटे। तब तक कड़े फैसले लेकर के पन्ना प्रमुख को भी एक्टिव किया जा सके। अगर तय समय में लोकसभा चुनाव होगा तुम मई और अप्रैल के महीने में होगा जो काफी गर्मी है वोट परसेंट भर सकती है इसमें भाजपा को वोट परसेंट को नुकसान होने की आशंका है। इससे पहले भी लोकसभा भंग हो चुका है पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने किये थे ,और चुनाव 6 महीने पहले हुआ था। आमतौर में शीतकालीन समय में होने वाले लोकसभा चुनाव ग्रीष्मकालीन में होने लग गया। फिर से भाजपा वही दिशा में वापस आ सकती है।
राजनीतिक तौर से देखें तो यह फैसला विपक्षी है टोड़ने वाला फैसला भी हो सकता है। क्या कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में कमजोर है तो क्या समाजवादी पार्टी के लिए पूरा अपना सीट छोड़ सकते हैं? क्या कांग्रेस पार्टी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी टीएमसी के लिए लोकसभा सीट पूरा छोड़ सकती है? क्या कांग्रेस पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए अपना दोनों राज्यों का लोकसभा चुनाव छोड़ सकती है? या जिन राज्यों में कांग्रेस मजबूत है भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ कर्नाटक हिमाचल प्रदेश एवं अन्य राज्य में क्षेत्रीय छोटे-छोटे पार्टियां कांग्रेस के लिए अपना लोकसभा सीट छोड़ सकते हैं? यही बीजेपी का राजनीति और कूटनीति है क्योंकि आने वाले समय में राजनीति है कुछ भी हो सकता है कुछ कहा नहीं जा सकता.!!!!!!