छत्तीसगढ़न्यूज़

भूपेश बघेल चार्जशीटेड सीएम, सेक्स सीडी कांड में करेंगे मानहानि का केस…. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ सीएम पर बोला हमला

छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में बीजेपी ने कांग्रेस पर अभी से हमले बोलने शुरू कर दिए हैं. इसकी शुरुआत रमन सिंह के उस बयान से हुई, जब उन्होंने कथित 36000 पीडीएस घोटाले को लेकर आईएएस अनिल टुटेजा के खिलाफ आरोप लगाए.

इसे ही नान घोटाला कहा गया और सीएम भूपेश बघेल से दोषियों को बचाने के लिए नहीं कहा.

उनके इन आरोपों पर भूपेश बघेल ने भी पत्र लिखकर उनसे बदनाम न करने का आग्रह किया. इसके बाद उन्होंने पूर्व सीएम रमन सिंह से कहा कि उन्हें अपनी और अपने बेटे की संपत्ति 1500% बढ़ने पर जवाब देना चाहिए.

वहीं रमन सिंह ने शुक्रवार को आजतक से बात करते हुए सीएम बघेल को जमानत पर बाहर आए चार्जशीटेड सीएम करार दिया. उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल को अपने शब्दों को लेकर सावधान रहना चाहिए. वह जमानत पर बाहर आए हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान सीएम के खिलाफ सेक्स सीडी मामले में मानहानि की दर्ज शिकायत दर्ज कराएगी.

क्या है सेक्स सीडी केस?

सेक्स सीडी कांड छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री राजेश मुनत से जुड़ा हुआ है. इस सेक्स सीडी में बीजेपी नेता की कथित आपत्तिजनक सामग्री थी. अक्टूबर 2016 में पत्रकार विनोद वर्मा को यूपी से पुलिस ने सीडी की 500 प्रतियों के साथ गिरफ्तार किया था.

उन्हें जबरन वसूली के आरोप में अरेस्ट किया गया था क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर वीडियो से छेड़छाड़ की और इसे राजनीतिक गलियारों में मुनत की छवि को चोट पहुंचाने के लिए प्रसारित किया था. इसके बाद, राजेश मुनत ने इस मामले में केस दर्ज करवाया था, जिसके बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल को भी 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.

इस मामले की जांच अभी सीबीआई कर रही है. जांच में पाया गया था कि विनोद वर्मा भूपेश बघेल के सलाहकार के रूप में भी कार्यरत थे.

सेवानिवृत्त जज करें जांच

रमन सिंह ने कहा कि इस मामले में बीजेपी ने हमेशा पूर्व मंत्री राजेश मुनत के लिए कड़ा रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की गंदी राजनीति उनकी पार्टी और नेताओं को कभी नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी. उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

वहीं इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी अपने पक्ष में एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करती है, इसलिए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक सेवानिवृत्त एससी न्यायाधीश की देखरेख में एसआईटी का गठन होना चाहिए.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button