महानदी में बने डेम के पानी को एक लेवल में रखने किसानो ने किया मांग 

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
महानदी के किनारे बसे गांव परसापाली, डोंगरीडीह, डोंगरा, तिल्दा, लाटा, दर्रा, चांटीपाली, मोहतरा, चिचपोल सहित नदी किनारे बसे लगभग 50 गांव के किसानों द्वारा महानदी पाल कछार में शासन के द्वारा लिज में दिए हुए पट्टे पर तरबुज, खरबूज की खेती विगत कई वर्षो से करते चले आ रहे है। चूंकि अब विगत कुछ वर्षो से महानदी में डेम बन जाने के कारण संबंधित विभाग के द्वारा पानी की लेवल को कम ज्यादा करते रहते है, जिससे तरबुज, खरबुज की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। महानदी में बने डेम के पानी को लेवल में रखने के लिए किसान शिव वर्मा, रामा घृतलहरे, धनेश कुमार, उत्तम कुमार, बंशराम, त्रिदेव, मनोजकुमार, पंकज, ओमप्रकाश, साहेबलाल वर्मा, नारायण घृतलहरे, दीनदयाल मांझी, नारायण मांझी, भुनेश्वर साहू, पप्पू साहु, गब्बर डहरिया, पतिराम निर्मलकर, कुमार घृतलाहरे, हितेश, राजकुमार, राम किसून, अरण, रामरतन, दिनकर, अशोक, नारायण मांझी, राजूराम, तिलक ने जिले के कलेक्टर, जल संसाधन विभाग बलौदाबाजार, मुख्य अभियंता महानदी परियोजना रायपुर में ज्ञापन देकर महानदी में बने सिंघारी डेम के पानी को डेम से एक फीट तक पानी को कम करने की मांग ज्ञापन के माध्यम से किया गया है। ज्ञापन सौपने वाले उक्त सभी किसानों का कहना है कि जब से महानदी में डेम बना है, संबंधित विभाग के द्वारा डेम के पानी को कम ज्यादा करता है, जिससे महानदी में लगाये हुए तरबुज, खरबूज की फसल को नुकसान होता है। महानदी किनारे बसे गांव के किसानो कहना है कि तरबूज, खरबूज की फसल लेने से हजारो लोगों को रोजगार मिलता है, मजदूरों व किसानों का आय का स्त्रोत बढ़ता है। इसलिए उक्त सभी किसानों ने डेम के पानी को एक लेवल में रखने की मांग शासन-प्रशासन से किए है। वही, किसानों ने यह भी आरोप लगाया है की रेत खदान के ठेकेदारों द्वारा पानी को कभी भी छोड़ दिया जाता है, जिसकी वज़ह से पाल कछार में लगाए हुए तरबूज, खरबूज सहित अन्य फ़सल सड़कर नुकसान हो जाता है, जिसकी वजह से किसानों को आर्थिक समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इसलिए किसानो की समस्याओं को देखते हुए डेम के पानी को नियंत्रित रखने की मांग किसानों द्वारा किया है।

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