”मैंने अपनी ही डेड बॉडी को देखा….”जब आप मरते है तो होता है इन खौफनाक चीजों से सामना

जब हम मरते हैं तो हमारे साथ क्या होता है? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर पता करने में कई वैज्ञानिक और शोधकर्ता वर्षों से लगे हुए है। इस प्रश्न का सटीक जबाव आज तक विश्व के बेहतरीन दिमाग भी नहीं निकाल पाए हैं। मौत के उपरांत इंसान के साथ क्या हो सकता है। यह बीते कुछ वक़्त से महत्वपूर्ण वैज्ञानिक शोध का विषय रहा है।

कुछ वक़्त पहले रेडिट थ्रेड ने उन लोगों से इस सवाल का जबाव लिया जो मेडिकली रूप से मर गए थे और वापस से जीवित हो उठे। जिन लोगों ने इन प्रश्नों के जबाव दिए उन्हें तीन भागों में बांटा गया था। पहले वो जिन्हें कुछ भी महसूस नहीं हुआ, दूसरे वे जो मरने के उपरांत किसी अन्य व्यक्ति से बात कर रहे थे और तीसरे वे जिन्हें सिर्फ रोशनी दिखी।  NYU लैंगोन मेडिकल सेंटर, यूके में मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। सैम पारनिया ने कार्डियक अरेस्ट के मरीजों को ढूंढा और पाया कि लगभग 40 फीसद लोगों ने मेडिकली रूप से मरने के बाद भी कोई ना कोई अलर्टनेस महसूस हुई। हालांकि यह बात आपको आश्चर्यचकित कर सकती है लेकिन इन प्रश्नों का जबाव देने वाले लोगों की बातों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मरने के उपरांत इंसान के साथ क्या होता है?

आंखों के सामने छा गया था अंधेरा: एक यूजर  ने कहा है कि  “मैं एक एंजियोग्राफी (कोरोनरी आर्टरी का एक्स-रे) करवा रहा था और मैं स्क्रीन को देखते हुए डॉक्टर से बात करने में लगा हुआ था। धीरे-धीरे अलार्म बंद होने लगे और मेरे आसपास के लोग घबराने लगे। मेरी दुनिया धुंधली होती हुई दिखाई दे रही थी और मेरी आंखों के सामने सब कुछ काला सा हो चुका था। जिसके उपरांत मुझे सिर्फ इतना याद है कि मेरी आंखें खुली थीं और डॉक्टर को मैंने यह कहते सुना था हमने उसे बचा ही लिया है। वह काफी आरामदायक फीलिंग थी।”

छेद से नीचे गिर रहा था: एक अन्य यूजर का कहना है कि “मैं एक बार क्लास में प्रजेंटेशन के समय  गिर गया था। मेरी सांस और ब्लड सर्कुलेशन बंद हो चुके थे। मुझे ऐसा लगा जैसे मैं एक छेद से नीचे गिरने लगा और मेरे साथी सहायता के लिए रो रहे हैं। मुझे जब होश आया तो मुझे मौत के मुंह से वापस जिंदा आने के उपरांत का कुछ याद नहीं। हेरोइन लेने की वजह से मेरे हार्ट ने काम करना बंद कर दिया था। ऐसा लग रहा था मानो मैं बिना सपने के सो रहा हूं।’

रोशनी की दीवार के सामने खड़ा था: एक अन्य व्यक्ति ने कहा है कि “मैं फरवरी 2014 में एक वर्क मीटिंग के दौरान गिर गया था और पांच मिनट तक मेरी हार्ट रेट और पल्स बंद हो चुकी थी। मेरी आखिरी मेमोरी गिरने के एक घंटे पहले की और अगली मेमोरी 2 दिन बाद की बताई जा रही थी।  जिसके दौरान का मैं सबकुछ भूल चुका था। मैं मेडिकली रूप से कोमा में जा चुका था। मैं लगभग 40 सेकंड के लिए सबकुछ भूल गया था। मुझे सबकुछ बहुत अच्छा लग रहा था।”

जब मुझे एंबुलेंस में ले जा रहे थे उस समय का थोड़ा बहुत मुझे याद आ रहा था। मैं अपनी डेड बॉडी को एंबुलेंस में देख पा रहा था। जिसके उपरांत मेरे सामने बहुत  तेज रोशनी की बड़ी दीवार थी और मैं उसके सामने खड़ा हुआ था। मैं जहां भी देख रहा था मुझे सिर्फ रोशनी वाली दीवार ही दिख रही थी। जिसके उपरांत मुझे कुछ याद नहीं और अगली मेमोरी मेरी हॉस्पिटल की थी।’

यूजर ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है “मेरे चारों ओर घना कोहरा था और वहां मैंने अपने सबसे खास मित्र को भी देखा। उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया था। कोहरे से बाहर आकर उसने मुझसे बोला कि वह भी अभी तक वापस नहीं जा सका। अगर मैं कोशिश करता रहा तो मैं वापस धरती पर चला जाऊंगा। जिसके उपरांत मैंने हार नहीं मानी और मुझे वापस से मेरे शरीर में धकेल दिया गया और मैं होश में आ गया।जब मुझे होश आया तब मेरे मां ने मुझे  कहा है कि मैं मर चुका था।”

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