
राम रथ यात्रा में दिखा जन सैलाब…. घंटाघर में गरजे संत श्री रितेश्वर महाराज…देखे वीडियो
राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन से सीख लेना होगा हिंदू सनातन समाज को
दिलीप कुमार वैष्णव@ आपकी आवाज
कोरबा | आनंदम धाम वृंदावन के संत और प्रखर वक्ता श्री रितेश्वर महाराज ने सर्व हिंदू समाज से इस बात की सीख लेने का आवाहन किया है. कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के लिए चार लाख राम भक्तों ने सर्वस्व न्योछावर कर दिया. इतना सब होने पर भी राम जन्मभूमि को साबित करने के लिए 492 वर्ष की लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी. यह अपने आप में हैरान करने वाला विषय है जल्द ही श्री कृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति के लिए काम शुरू होना है. इस कार्य में लंबा समय ना लगे यह हम सभी की जिम्मेदारी है.
श्री राम मंदिर अयोध्या के लिए सर्व हिंदू समाज से अंशदान लेने के लिए समर्पण निधि अभियान चलाया जा रहा है. इसी कड़ी में आयोजित श्री राम रथ यात्रा के समापन पर संत श्री रितेश्वर महाराज कोरबा पहुंचे थे. उन्होंने ओपन थिएटर घंटाघर में आयोजित विशाल राम सभा को संबोधित किया. और कहा कि राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन लंबे संघर्ष और बड़े- बलिदान के बाद पूर्ण हो सका है.श्री कृष्ण जन्म भूमि की मुक्ति के लिए यह सब ना करना पड़े इसके लिए हर स्तर पर समाज को अपनी बेहतर भूमिका निभानी होगी. राम मंदिर समर्पण निधि जन जागरण अभियान समिति के द्वारा आयोजित राम सभा में शहर और गांवों से पहुंची कई हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए रितेश्वर महाराज ने कहां की मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र की पूजा अर्चना केवल भारतवर्ष में ही नहीं होती बल्कि दुनिया के कई देशों में भी उन्हीं की आराधना होती है. मॉरीशस मलेशिया कंबोडिया सुमात्रा नेपाल श्रीलंका सूरीनाम त्रिनिडाड जैसे देशों में भगवान राम उपासना वहां के निवासी करते हैं. अब जबकि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त हुआ है यह अवसर भारत के साथ-साथ ऐसे सभी देशों के नागरिकों के लिए खुशी देने वाला है हम सभी को उस दिन की प्रतीक्षा है जब अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण होगा और वहां हम सभी दर्शन के लिए पहुंचेंगे.
70 साल बेहद कष्टकारी
राम सभा को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए आचार्य ने इस बात पर अफसोस जताया कि पिछले 70 साल में राम मंदिर निर्माण को लेकर जिस तरह से अड़ियल रवैया अपनाया गया उससे सर्व हिंदू समाज की भावना आहत हुई. राम जन्मभूमि और वहां मंदिर के प्रमाण होने के बावजूद कई तरह से हमें परेशान किया गया और आस्था पर चोट की गई. इस तरह का दोगलापन आखिर क्यों और किन कारणों से किया गया यह समझ से परे है. जिन लोगों ने भी इस मामले में अकारण रोड़े लटकाए उन्हें ईश्वर कभी क्षमा नहीं करेगा.
राष्ट्र रक्षा राम से ही संभव
राष्ट्र की रक्षा श्री राम के द्वारा ही संभव है वैसे भी कहा गया है कि जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिए व्यक्ति का पद और प्रतिष्ठा चाहे जो हो सबसे पहले वह कुल मिलाकर मां भारती का पुत्र है और देश का जिम्मेदार नागरिक उसे यह बात हमेशा याद रखनी होगी.
अपनी संस्कृति पर गौरव करना सीखें
आम नागरिकों से संत रितेश्वर महाराज ने आव्हान किया कि उन्हें हर हाल में अपने देश और अपनी संस्कृति पर गौरव करना होगा ही कंप्यूटर के मामले में संस्कृत के योगदान की चर्चा करने के साथ उन्होंने स्पष्ट किया कि मैकाले की शिक्षा पद्धति से देश का भला ना कभी हुआ है और ना कभी होने वाला है इस बात को सभी को गांठ बांध कर रखना होगा बच्चों में अच्छे संस्कार डालने और इससे होने वाले लाभ की चर्चा भी उन्होंने की नेताजी सुभाष चंद्र बोस का स्मरण जयंती करते हुए बताया गया कि आईसीएस की परीक्षा में चौथी रैंक लाने के बावजूद उन्होंने त्यागपत्र इसलिए दे दिया क्योंकि वह किसी भी कीमत पर अंग्रेजों की चाकरी नहीं कर सकते थे उन्हें अपने प्रिय देश भारत से लगाव था और मातृभूमि की सेवा करना चाहते थे.
सभी से किया समर्पण निधि का आव्हान
कार्यक्रम के दौरान संत रितेश्वर महाराज ने सर्व हिंदू समाज से आव्हान किया कि राम मंदिर निर्माण के लिए वे अपने अंशदान का संकल्प लें आने वाली पीढ़ी इसे जरूर प्रेरणा प्राप्त करेगी. इससे पहले कार्यक्रम के सूत्रधार किशोर बुटोलिया और अशोक तिवारी ने अपनी बात रखी. उन्होंने राम मंदिर जन जागरण अभियान को लेकर जिले में बने वातावरण को आशा जनक बताया और कहा कि क्षेत्र में राम भक्ति की जो तस्वीर बनी हुई है उससे हम काफी आशान्वित हैं.
आकर्षण का केंद्र बनी रथ यात्राएं
कोरबा जिले के 7 शक्ति स्थानों से निकाली गई राम रथ यात्राएं आज कोरबा पहुंचे कोसा बाड़ी हनुमान मंदिर से यह सभी ओपन थिएटर के लिए रवाना हुई. इनके साथ कई झांकियां भी शामिल की गई रास्ते भर में इन्होंने अपना आकर्षण बिखेरा हजारों की भीड़ उनके साथ चल रही थी इस दौरान राम भक्तों ने उत्साह का प्रदर्शन किया.
कलश यात्रा और खड़ाऊ के बिखरे रंग
राम रथ यात्रा कार्यक्रम को ख़ास बनाने में मातृशक्ति ने अपनी विशेष भूमिका निभाई असंख्य मातृशक्तियों ने सिर पर कलश धारण कर उपस्थिति दर्ज करायी. केसरिया वस्त्र में महिलाएं और बालिकाएं नजर आए इसी के साथ बालकों का एक समूह भगवान के पद चिन्ह खड़ाऊ के साथ चल रहे थे. इस तरह के प्रयोग पहली बार किए गए।