सबको कश्मीर बुलाते थे , नई कार से स्कूल गई थीं … ‘लहुलूहान घाटी’ की दर्दनाक दास्तां….पढ़िए पूरी खबर

श्रीनगर. शहर के ईदगाह इलाके में बृहस्पतिवार को आतंकवादियों ने एक महिला समेत सरकारी स्कूल के दो शिक्षकों की गोली मार कर हत्या (Government School Teachers Killed) कर दी. पिछले पांच दिनों के भीतर घाटी में सात नागरिकों की हत्या की जा चुकी है और इनमें चार अल्पसंख्यक समुदाय से थे. मारे गए शिक्षकों के घर में मातम पसरा है. इनके बारे में जानकर आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी. आतंकियों का शिकार हुए दीपक चंद को कश्मीर से बेहद लगाव था और वो अपने रिश्तेदारों को यहां बार-बार आने के लिए कहते थे. इसी स्कूल की प्रिंसिपल सुपिंदर कौर पहली बार अपनी नई कार से स्कूल गईं थी. लेकिन उनकी ये यात्रा आखिरी साबित हुई.

जम्मू में दीपक चंद के घर में लोगों का तांता लगा है. उनकी 2 साल की बेटी रजनी को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि आखिर लोग क्यों आ रहे हैं और मां और दादी क्यों रो रही हैं? पिछले हफ्ते ही दीपक चंद घाटी में काम पर लौटने से पहले अपनी पत्नी और बेटी को घर छोड़ने जम्मू आए थे. चंद के चचेरे भाई विक्की मेहरा ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘बुधवार शाम लगभग 7:30 बजे, उन्होंने अपने बड़े भाई, जो एक टैक्स कंसलटेंट हैं उन्हें कॉल किया था और बताया था कि कि वो अष्टमी (नवरात्र के आठवें दिन) पर घर आएंगे. उन्होंने अपनी चाची से भी बात की थी और उन्हें कश्मीर आने के लिए आमंत्रित किया था.’

सबको कश्मीर आने के लिए कहते थे दीपक

मेहरा ने आगे कहा, ‘कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम के रोजगार पैकेज के तहत अपनी नियुक्ति के बाद से वो पिछले चार सालों से कश्मीर में पढ़ा रहे थे. दीपक बहुत खुश थे और वो परिवार के सभी लोगों को कश्मीर आने के लिए कहते थे. वो हमें बताते थे कि डरने की कोई बात नहीं है, लोग बहुत अच्छे हैं, मौसम अच्छा है और कोई तनाव नहीं है.’

पहली बार कार से गईं स्कूल

इस बीच, श्रीनगर के अलोचा बाग़ में सुपिंदर कौर की भाभी ने कहा कि वो पहली बार अपनी नई कार से स्कूल गई थीं. उन्होंने कहा, ‘वो तीन साल से गाड़ी चलाना सीख रही थी.’ कौर की बेटी सातवीं कक्षा की छात्रा जसलीन कौर ने कहा कि उन्होंने बाद में अपनी मां से फोन पर बात की थी. उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी ऑनलाइन क्लास में भाग ले रही थी. और जब मैंने दोबारा फोन किया, तो किसी ने भी कॉल का जवाब नहीं दिया.’

परिवार में मातम

बडगाम की रहने वाली कौर अपने पति रामरेश पॉल सिंह और अपनी बेटी और बेटे के साथ करीब एक दशक पहले इस इलाके में आई थीं. उनके बच्चे दिल्ली पब्लिक स्कूल-श्रीनगर के छात्र हैं. रामरेश पॉल सिंह, जिनके माता-पिता भी परिवार के साथ रहते हैं, जम्मू और कश्मीर बैंक में काम करते हैं. एक पड़ोसी ने कहा, ‘इस इलाके के प्रत्येक सदस्य के साथ वो सम्मान के साथ व्यवहार करती थी.’

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