
हड़ताल के 39 दिन बाद भी नही निकला कोई नतीजा ! आज से भूख हड़ताल पर पंचायत सचिव
रायगढ़ : जिले के ब्लॉक तमनार जनपद पंचायत परीसर में आज से सचिवों की हड़ताल क्रमिक भूख हड़ताल तब्दील । प्रदेशभर के पंचायत सचिव अपनी एक सूत्रीय शासकीयकरण की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। विगत 16 मार्च से उनका आंदोलन जारी है। आंदोलन को अब 39 दिन हो गए है, लेकिन सरकार पंचायत सचिवों को आज तक चर्चा, समस्या का समाधान करने के लिए नही बुलाई। जिला मुख्यालय के अलावा ब्लाक स्तर पर पंचायत सचिव हुंकार भर रहे है। नवरात्र व हनुमान जन्मोत्सव पर पंचायत सचिवों ने सरकार की सद्बुद्धि के लिए हवन यज्ञ किए। विरोध की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने मोटर साइकिल रैली निकाली, मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। विधायको को भी मुख्यमंत्री तक अपनी मांग पहुंचाने के लिए ज्ञापन दिया गया, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नही हुई। अब आंदोलन को तेज करते हुए उन्होंने 24 अप्रैल से क्रमिक भूख हड़ताल का ऐलान किया था, जिसकी शुरुआत आज से हो गई है।
क्रमिक हड़ताल की शुरुआत आज तमनार ब्लाक के 9 पंचायत सचिवों के द्वारा की गई है। प्रशासन को दी गई सूचना के मुताबिक आज सचिव संघ ब्लाक इकाई तमनार के पंचायत सचिव रामलाल सिदार, समीर बेहरा, चक्रधर सिदार, सेवक राम सिदार,रामाधार चौहान,हलधर पटेल, वेडूधर राठिया, मनोहर राठिया, सूरत सिदार द्वारा क्रमिक भूख हड़ताल की शुरुआत की गई है। उनका कहना है कि मांग पूरी होने तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।
पंचायतों में काम काज प्रभावित
ग्राम पंचायत सचिवों के हड़ताल में चले जाने से पंचायत अंतर्गत होने वाले सभी प्रकार के कार्य बंद हो गए है। इसमें गोबर खरीदी कार्य, जन्म मृत्यु पंजीयन, पेंशन भुगतान, राशन कार्ड, निर्माण कार्य एवं अनेक हितग्राही मूलक कार्य बंद हो गए है।
वादा भूली सरकार
पंचायत सचिवों का कहना है कि दो साल की परीक्षा अवधि के बाद शासकीयकरण करने की बात कही गई थी, लेकिन सरकार वादा कर भूल गई है। अन्य कर्मचारियों को जो लाभ मिल रहे हैं पुरानी पेंशन, क्रमोन्नाति, ग्रेच्युटी वह सब उन्हें भी मिलना चाहिए। इसे लेकर कई बार ज्ञापन दिया। वार्ता हुई लेकिन आश्वासन से आगे बात नहीं बढ़ी। प्रदेश में 27 सालों से 10 हजार से भी अधिक पंचायत सचिव अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ग्रामीण अंचल में शासन के समस्त योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम लोगों तक पहुंचे इसके लिए जिम्मेदारी पूरी कर है हैं। इसके बाद भी शासकीयकरण का वादा अभी तक पूरा नहीं किया गया है। जबकि शासन प्रशासन को कई बार संगठन ज्ञापन सौंप चुका है। हमारी एक ही मांग है कि दो वर्ष परीक्षा अवधि पश्चात शासकीयकरण किया जाए।