
होठों को चूमा, जीभ को सक करने को कहा, इस मशहूर हस्ती की घिनौनी करतूत से दुनिया हैरान
नई दिल्ली। दलाई लामा का एक विवादास्पद वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो में वह एक नाबालिग लड़के के होठों पर किस करते हैं। इसके बाद वह इस बच्चे से अपनी टंग सक करने के लिए कहते हैं। वीडियो सामने आते ही इस पर विवाद शुरू हो गया है। इसको लेकर लोग सोशल मीडिया पर धर्मगुरु की जमकर आलोचना कर रहे हैं। ट्विटर पर इस वीडियो पर यूजर्स गुस्से से भरा रिएक्शन कर रहे हैं। बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब दलाई लामा विवादों में घिरे हैं।
ट्विटर पर गुस्सा
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो में नाबालिग लड़का दलाई लामा को सम्मान देने के लिए उनके सामने झुकता है। इसी दौरान धर्मगुरु उसके होंठ पर किस करते हैं। इसके बाद वीडियो में वह बच्चे से कहते सुनाई दे रहे हैं कि क्या वह उनकी जीभ को सक कर सकता है? वीडियो को शेयर करते हुए ट्विवटर यूजर जूस्ट ब्रूकर्स ने लिखा है, तो दलाई लामा एक बुद्धिस्ट कार्यक्रम के दौरान एक भारतीय बच्चे को चूमते हैं। उसके बाद उसकी जीभ को छूने की कोशिश करते हैं, बल्कि वीडियो में वह जीभ को सक करने की बात कहते सुनाई दे रहे हैं। कोई बताएगा कि आखिर वह ऐसा क्यों करेंगे?
पहली बार विवाद नहीं
एक अन्य यूजर दीपिका पुष्कर नाथ ने इसे गलत बताते हुए कहा कि दलाई लामा के इस व्यवहार को बिल्कुल भी जस्टिफाई नहीं किया जा सकता। जस ओबेरॉय ने ट्वीट किया मैं यह क्या देख रहा हूं? उन्हें तो इसके लिए गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए। बता दें कि दलाई लामा पहले भी विवादों में रह चुके हैं। साल 2019 में दलाई लामा ने कहा था कि अगर कोई महिला उनकी उत्तराधिकारी बनती है तो उसे काफी ज्यादा आकर्षक होना चाहिए। यह कमेंट दलाई लामा ने एक ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर को दिए इंटरव्यू में किया था। हालांकि बाद में उन्होंने इसके लिए माफी मांग ली थी।
चीन से है पंगा
पिछले महीने दलाई लामा ने अमेरिका में जन्मे मंगोलियाई लड़के को 10वें खलखा जेत्सुन धम्पा रिंपोछे के रूप में नामित किया था। यह तिब्बती बौद्ध धर्म में तीसरी सर्वोच्च रैंक है। तिब्बती बौद्ध धर्म में आठ साल के बच्चे को तीसरे सबसे बड़े लामा के रूप में नियुक्त करने के कदम से चीन के नाराज होने की संभावना है। बता दें कि चीन इस बात पर अड़ा हुआ है कि वह केवल अपनी सरकार द्वारा चुने गए बौद्ध नेताओं को मान्यता देगा। चीन ने ने दलाई लामा पर तिब्बत में अलगाववाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। इसके अलावा वह केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) को मान्यता नहीं देता है। सीटीए भारत, नेपाल, कनाडा और अमेरिका सहित लगभग 30 देशों में रहने वाले लगभग 100,000 निर्वासित तिब्बतियों का प्रतिनिधित्व करता है।